
बोलव छत्तीसगढ़ी, लजावव झन
राजभाषा दिवस बिसेस कविता- बोलव छत्तीसगढ़ी, लजावव झन लिखव, पढ़व गुनव एला गंवावव झन अरे महतारी भाखा म गरब करे जाथे छत्तीस…

राजभाषा दिवस बिसेस कविता- बोलव छत्तीसगढ़ी, लजावव झन लिखव, पढ़व गुनव एला गंवावव झन अरे महतारी भाखा म गरब करे जाथे छत्तीस…
बिहाव के रस्म जेमा छत्तीसगढ़ के संस्कृति झलकथे। छत्तीसगढ़ के लोक जीवन ल जानना हवय त बिहाव के पूरा रस्म ला देखव आप अनुभव…
कविता : दुख पीरा के साथी मैं दुख पीरा के साथी औ, तपसी कस तन ल साधे हौ। मिहनत संग मितानी बदके, सुख सम्मत ल बॉटे हौ।। डरह…
कुण्डलिया हँसिया पजवालव बने, पोठ करादव धार। फसल ह पाके नेत मा, चलव-चलिन अब खार।। चलव-चलिन अब खार, धान झन चिटिक रनावय। क…
मोर देश के जवान देश के खातिर डटे रहिथौ तुम, तुँही हव हमर शान। मोर देश के जवान, मैं कतका करँव बखान।। गाँधी सुभाष…
मजबूर हे मजदूर करोना के डर ले , डरागिन सब मजदूर। काम होइस बंद , घर जाय बर मज…
जिहाँ मोल नइहे ये दुनिया म, त तोल कोन करय। नइ करें भाव बियाना, अऊ झोली कोनो नइ भरय।। होवत हे बिहान फेर, हजाये म…
का कमी हे जग म तोला, जऊन होथस तयं निरास रे। सकल साधन साध्य हे तोला, केवल कर परयास रे... माटी ह स…
सुनले सूरज हे भगवान, काबर करथस तैं हलकान। आथव बड़े बिहनिया आप, बड़गे हावय अड़बड़ ताप। आगी जइसन करथस घाम, उसना…