कविता

बोलव छत्तीसगढ़ी, लजावव झन

राजभाषा दिवस बिसेस कविता- बोलव छत्तीसगढ़ी, लजावव झन लिखव, पढ़व गुनव एला गंवावव झन अरे महतारी भाखा म गरब करे जाथे छत्तीस…

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छत्तीसगढ़ी छन्द मा बिहाव के चित्रण : अजय अमृतांशु, भाटापारा

बिहाव के रस्म जेमा छत्तीसगढ़ के संस्कृति झलकथे। छत्तीसगढ़ के लोक जीवन ल जानना हवय त बिहाव के पूरा रस्म ला देखव आप अनुभव…

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कविता : दुख पीरा के साथी

कविता : दुख पीरा के साथी मैं दुख पीरा के साथी औ, तपसी कस तन ल साधे हौ। मिहनत संग मितानी बदके, सुख सम्मत ल बॉटे हौ।। डरह…

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अमित के कुण्डलिया

कुण्डलिया हँसिया पजवालव बने, पोठ करादव धार। फसल ह पाके नेत मा, चलव-चलिन अब खार।। चलव-चलिन अब खार, धान झन चिटिक रनावय। क…

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