जगदीश ‘हीरा’ साहू के कविता : मोर देश के जवान

अंजोर
1

मोर देश के जवान

देश के खातिर डटे रहिथौ तुम, तुँही हव हमर शान।
मोर देश के जवान, मैं कतका करँव बखान।।

गाँधी सुभाष वीर भगतसिंह, देइच अपन क़ुरबानी।
अंगरेज ला भगाये खातिर, सबझन मन मा ठानी।।
देके आजादी हमर देश ला, सौंपे हे तुँहर हाथ मा।
करव तुमन रखवारी कहिके, तिलक दिए तुँहर माथ मा।।
तुँहर रहत ले उठा के आँखी, नइ देखय कोनो आन।
मोर देश के जवान, मैं कतका करँव बखान।।

बाहिर ले दुश्मन मन आथे, तेल मार भगाथौ।
अपन प्राण के मोह न करके, हमला जीत देवाथौ।।
दल के दल कतको आथे फेर, तुँहर आगू मा टिकय नहीं।
भाग जाथे हार के जम्मो, आगू मा कोनो दिखय नहीं।।
नजर लगाये हे बैरी मन, येला बनाये बर शमशान।
मोर देश के जवान, मैं कतका करँव बखान।।

भारत माँ के वीर सपूत हव, नता ला तुमन निभाहव।
मर जाहू कहूँ देश के खातिर, अमर तुमन हो जाहव।।
काशमीर हे सरग बरोबर, दुनिया गुन ला गाथे।
दुनिया भर के मनखे मन हा, दरस करे बर आथे।।
लइका सियान सब मिलके करे "जग", बस तुँहर गुणगान।
मोर देश के जवान, मैं कतका करँव बखान।।
           
- जगदीश ‘हीरा’ साहू (व्याख्याता)
कड़ार, भाटापारा-बलौदाबाजार
jksurganga@gmail.com

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1टिप्पणियाँ

सबो पाठक ल जोहार..,
हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।

  1. अंजोर में जगा दिए खातिर बहुत बहुत धन्यवाद महोदय जी,
    नमो नमः

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