कागज जांचत विभाग, फेर सड़क म जान गंवावत जनता!

अंजोर
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कागज जांचत विभाग, फेर सड़क म जान गंवावत जनता!


आज के बखत म सड़क यातरा ह रोजचे-रोज के जीनगी के हिस्सा बनगे हावय। गाड़ी चलइया मन अब नियम-कानून के बात ले बरोबर सावचेत होके जानथें कि- हेलमेट, इंशोरेंस, लाइसेंस, प्रदूषण प्रमाण पत्र, हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट... ए सब जरूरी कागजात अब गाड़ी चलाय के लाइसेंस ले कमती नइ हे।

परिवहन विभाग अउ पुलिस प्रशासन ए दस्तावेज के जांच बर बहुत सख्त होगे हावय। हरेक ओना-कोना, चउक-चउराहा म जवान खड़े रहिथें, हर चउराहा म कैमरा तको लगे हवय। नियम के उल्लंघन होथे, त घर म फटाफट चालान पहुंच जाथे।

'माने, कागज के जांच म सरकार 100% मुस्तैद दिखत हे।'

फेर सवाल ए उठथे कि- 'जब कागज एतका कड़क जांचत हें, त सड़क म जान काबर गंवात हवय?'

रोज अखबार म सड़क हादसा के खबर आवथे। ओवरलोड ट्रैक्टर पलट गे, माजदा खड्ड म गिर गे, ट्रक ले टकराय के कारण पूरा परिवार खत्म हो गे, ए खबर अब सामान्य बात हो गे हवय। सबसे दुखद बात ए हे कि ए दुर्घटना म जेन मनखे मन जान गंवावत हें, ओमन ज्यादातर गरीब वर्ग के हवंय। जेमन करा साधन नइ होवय, ओमन मज़बूरी म मालवाहक गाड़ी म सवारी भरके सफर करत हें।

सरकार के नियम के मुताबिक, ए गाड़ी मन सवारी ढोय बर नइ बनाय गे हें, फेर ओमन सवारी लेके खुलेआम चलत रहिथें। अब सवाल उठथे कि- जेन विभाग हेलमेट के बिना चालान कटत हे, इंशोरेंस के बिना गाड़ी जब्त करत हे, वो विभाग ओवरलोड ट्रक, बिना फिटनेस वाला माजदा, बगैर लाइट वाला ट्रैक्टर ला देख नइ पावत का?

हादसा हो जाय त एक-दू लाख के मुआवजा मिलथे, ड्रायवर ऊपर केस हो जाथे, फेर विभाग के कोनो अधिकारी ऊपर जवाबदेही तय नइ होवय।
  • का ए सिस्टम सिरिफ जनता के कागज जांचे बर बनाय गे हे?
  • का सुरक्षा के जिम्मेदारी सिरिफ ड्रायवर के हवय?
  • सरकार अउ विभाग कब तक “हम त जांच करत रहन” कह के अपन जवाबदारी ले भागत रही?

सड़क म सुरक्षा के सवाल उठाना जरूरी होगे हवय

सरकार ला ए बात समझना होही कि सिरिफ चालान काट के सड़क सुरक्षित नइ बन जावे। ओवरलोड गाड़ी ऊपर नियंत्रण, गांव-गांव म सुरक्षित यातायात सुविधा, सड़क म समय रहते सुरक्षा व्यवस्था अउ जिम्मेदार अधिकारी ऊपर कारवाही, ए सब जरूरी हे।
  • अगर आज ए सवाल नइ पूछबो, त कल फेर कोनो गरीब के बेटी के डोली नइ उठही – लाश उठही।
  • कोनो किसान अपन खेत नइ पहुंचही – अस्पताल पहुंच जाही।
  • कोनो मजदूर छुट्टी नइ लेही – अंतिम यात्रा म निकली।
"कागज जांचत विभाग, फेर सड़क म जान गंवावत जनता" – ए स्थिति ला अब बदले बर परही। आज छत्तीसगढ़ के सड़क म एक डरावना सच पसरे हवय। जहां एक ओर हर मोड़ म पुलिस अउ परिवहन विभाग के जवान खड़े मिलथें –
  • गाड़ी के इंशोरेंस हे का नइ,
  • हेलमेट पहिरे हवय का नइ,
  • नंबर प्लेट म एचएसआरपी लगाय गे का नइ,
  • प्रदूषण प्रमाण पत्र हे का नइ – ए सब बात के जांच करत मिलथें।
फेर जे सवाल हर रोज सड़क म खून बनके बगरत हे –
“मनखे काबर मरत हे?”
ओकर जवाब देय म सब चुप हें।

⚠️ कागज तो जांच लेथें, फेर जिंदगी कोन बचाथे?

  • कागज के कमी म त फाइन फट से कट जथे।
  • हजार, दू हजार – झट से ले लिहीं।
  • चौराहा म जवान घेरा डारे रहिथें – चालान के डर म जनता सवधान रहिथे।
फेर ओही चौराहा ले जब ट्रक, माजदा म भरके सवारी जात हे – 
त ओमन ला कोन देखथे? कोन रोकथे?
ओवरलोड ट्रैक्टर, शादी म भराय माजदा, खेत ले गाँव तक लुड़कत ट्रक –
ए सब मन आंख के सामने चलत हें,
फेर विभाग के आंख बंद हवय।

💥 चालान के सख्ती म सड़क सुरक्षा के लचरता!

जब सरकार के सिस्टम एतका सख्त हवय तो सड़क म हर तीसरा दिन होय वाला मौत काबर रोक नइ पावत? आखिर, सिर्फ कागज जांच म सिस्टम चौकस हवय, फेर हादसा रोकई म कोन जवाबदार? हर साल छत्तीसगढ़ म सैकड़ों लोग सड़क दुर्घटना म जान गवाथें, जेमन म ज्यादा करके गरीब वर्ग के मनखे होथें।

😢 गरीब मन के जिनगी म सरकारी बेपरवाही

शादी-ब्याह होवय, त गरीब मन माजदा, ट्रक म सवारी भर के चल देथें। माल ढोय के गाड़ी म जान ढोवाय जावत हे। काबर?
काबर कि वो मन करा महंगा टैक्सी भाड़ा देवाय के पैसा नइ होवय।
ओमन जिनगी के दांव म लगाके सफर करत हें, अउ कई बार सफर जिनगी ला खा जाथे।
दुर्घटना हो जाथे, परिवार उजड़ जाथे –
फेर सरकार के विभाग, अधिकारी, थाना प्रभारी,
सब अपन जिम्मेदारी ले मुंह मोड़ लेथें।

✅ अब वक्त आ गे हे सवाल पूछे के

सरकार अउ परिवहन विभाग ला अब जवाब देना चाही –
  • ओवरलोड गाड़ी म सवारी भरके चलत मनखे ला कोन देखथे?
  • चालान के संग सड़क म सुरक्षाकर्मी के गश्ती काबर नइ बढ़ाय जात हे?
  • ग्रामीण परिवहन बर सुरक्षित साधन काबर नइ बढ़ाय जात हे?
  • हर साल सड़क हादसा म मरईया मन के डेटा ऊपर कारवाही काबर नइ होवत?
  • कब तक चालान के पीछे विभाग अपन जिम्मेदारी ले बंचत रही?
✍️ लेखक: "अंजोर" संपादकीय टीम

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