सुरता म भइया प्रदीप वर्मा... स्‍मृतांजलि by Sushil Bhole litterateur of Chhattisgarh

अंजोर
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Sushil Bhole litterateur of Chhattisgarh


प्रदीप भइया के साहित्यिक संसार के सुरता करीन त, उंकर पहिली कृति 'दुवारी' (काव्य संग्रह) आय। एकर पाछू अपन सुवरी प्रेमा जी अउ अपन नाम प्रदीप ले आधा आधा शब्द जोड़ के 'प्रेमदीप' के नॉव ले काव्य संग्रह निकालीन। एकर बाद उंकर एक कहानी संग्रह आइस 'भांवर' नॉव ले, उहें 'सुरता' प्रकाशनाधीन हे।

रोजेच असन दिन सोमवार 19 फरवरी के घलो मैं मुंदरहा चार बजे उठ के सोशल मीडिया म रात भर के गतिविधि मन के सोर खबर लेवत रेहेंव, उहिच बेरा हमर समिति के व्हाट्सएप ग्रुप म प्रसिद्ध कलाकार नारायण चंद्राकर जी के एक शोक संदेश के पोस्ट आइस। मैं वोला देखेंव त लिखाय राहय श्री प्रदीप कुमार वर्मा जी 18 फरवरी के रतिहा सरग के रद्दा रेंग दिन। उंकर अंतिम यात्रा 19 फरवरी के निकलही।
 
पहिली तो मैं एला जइसे सब के अइसन संदेश आथे वइसने सामान्य समझेंव, फेर बाद म मन होइस, के एमा संदेश के नीचे म लिखाय प्रशांत वर्मा जी ले पूछ के स्पष्ट करे जाय के ए प्रदीप वर्मा ह कोन आय, काबर ते मोर चिन चिन्हार म अबड़ झन प्रदीप वर्मा हें।

शोक संदेश के खाल्हे म लिखाय प्रशांत वर्मा जी के मोबाइल नंबर म मैं संपर्क करेंव, त स्पष्ट होइस के ए तो हमर दुर्ग वाले भइया वरिष्ठ साहित्यकार प्रदीप वर्मा जी आय।

ए खबर के स्पष्ट होए के बाद दू चार मिनट तो मोर दिमागे काम नइ करीस, तभे ओती ले प्रशांत कहिस के अंकल जी पापाजी वाले संदेश ल आप सबो साहित्यकार वाले ग्रुप म भेज देवव, त मैं प्रशांत के भेजे शोक संदेश म थोड़ा एडिट कर के साहित्यकार मन ले जुड़े ग्रुप मन म पठो दिएंव।

बछर 1945 के 3 जून के गाँव सरफोंगी म जनमे प्रदीप जी संग चारेच दिन पहिली तो मोर मोबाइल म गोठबात होय रिहिसे। दू चार दिन म रायपुर आवत हौं भाई तब तोर घर म आके भेंट करहूं कहे रिहिन हें।
 
असल म प्रदीप भइया के अनुज राम कुमार जी रायपुर म मोरेच घर जगा रहिथें, तेकर सेती उन जब कभू रायपुर म अपन छोटे भाई घर आवंय त संग म मोरो घर जरूर आवंय। महूं ह कभू दुर्ग जाना होवय त प्रदीप भइया घर जरूर जावौं।

प्रदीप भइया मयारुक साहित्यकार होए के संग कला प्रेमी घलो रिहिन हें। वो मन अपन जिनगी के संगवारी प्रेमा जी के संग मिल के 'दौनापान' कला मंच के स्थापना घलो करे रिहिन हें, जेमा चालीस झन सदस्य मन जुड़े रिहिन हें।

प्रदीप भइया के साहित्यिक संसार के सुरता करीन त, उंकर पहिली कृति 'दुवारी' (काव्य संग्रह) आय। एकर पाछू अपन सुवरी प्रेमा जी अउ अपन नाम प्रदीप ले आधा आधा शब्द जोड़ के 'प्रेमदीप' के नॉव ले काव्य संग्रह निकालीन। एकर बाद उंकर एक कहानी संग्रह आइस 'भांवर' नॉव ले, उहें 'सुरता' प्रकाशनाधीन हे।

छत्तीसगढ़ी भाखा के बढ़ोत्तरी बर जबर समर्पित रहिन प्रदीप भइया। मोर संबंध तो उंकर संग साहित्यिक होय के संगे-संग पारिवारिक अउ सामाजिक घलो रिहिसे, तेकर सेती उंकर संग हर किसम के कार्यक्रम मन म मेल भेंट होतेच राहय। प्रदीप भइया वीणापाणी साहित्य समिति के अध्यक्ष घलो रिहिन, संग म दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति के कोषाध्यक्ष के जिम्मेदारी घलो निभावत रिहिन हें।

हमर मनवा कुर्मी समाज के गतिविधि मन म घलो प्रदीप भइया सक्रिय राहत रिहिन। उन 78 बछर के उमर म घलो जबर सक्रिय रहिन। जवान मनखे मन बरोबर खुद स्कूटर चलावत दुर्ग ले भिलाई अउ कुम्हारी तक के कार्यक्रम मन म आके संघर जावत रिहिन हें। फेर दुख के बात आय अभी बीते 18 फरवरी के रतिहा एक बिहाव के कार्यक्रम ले आय के पाछू कार ले उतरत रिहिन हें, तइसने एक अस्पताल के एम्बुलेंस ह उनला पाछू डहार ले ठोक दिस। जेन एम्बुलेंस ह लोगन के जिनगी बचाय बर सरपट दौड़थे, उही ह प्रदीप भइया बर काल बनगे। 
उंकर सुरता ल पैलगी... जोहार
-सुशील भोले
वरिष्‍ठ साहित्‍यकार, रायपुर छत्‍तीसगढ़

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