छत्तीसगढ़ के पहिली महिला सांसद मिनीमाता बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी रिहिस। अपन प्रखर अगुवई क्षमता के बदौलत राष्ट्रीय नेता के बीच उंकर आने पहचान रिहिस। दलित शोषित समाज ही नइ सबो वर्ग ह उंकर अगुवई ल मान्य करिन। ओमन संसद म अछुत निवारण अधिनियम पारित कराये म जरूरी भूमिका निभाईस। मिनीमाता समाज हित के बुता सेती ले लोकप्रियता के फिलिंग म पहुंचिस।
मिनीमाता ह समाजसुधार सहित सबो वर्ग के उन्नति अउ बेहतरी के बुता म बढ़-चढ़के हिस्सा लिस। ओमन जन सेवा के ही जीवन के उद्देश्य् मानके बुता करिन। ओमन नारी उत्थान, किसान, मजदूर, छूआ-छूत निवारण कानून, बाल विवाह, दहेज प्रथा, निःशक्त अउ अनाथ मनके खातिर आश्रम, महिला शिक्षा अउ जनहित के केऊ फैसला अउ समाज हितैषी बुता म जरूरी योगदान देवे। मिनीमाता के राजनीतिक सक्रियता अउ समर्पण ले पीड़ित मन के अधिकार बर संसद म केऊ कानून बनिस।
मिनीमाता के मूल नाम मीनाक्षी देवी रिहिस। उंकर जनम 13 मार्च 1913 के असम राज्य के दौलगांव म होइस। ओला असमिया, अंग्रेजी, बांगला, हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी भाषा के अच्छा ज्ञान रिहिस। वो ह सत्य, अहिंसा अउ प्रेम के साक्षात् प्रतिमूर्ति रिहिसं। उंकर बिहाव गुरूबाबा घासीदास जी के चौथे वंशज गुरू अगमदास ले होइस। बिहाव के बाद वो छत्तीसगढ़ आई, तब ले ओमन ए क्षेत्र के विकास के खातिर अपन पूरा जीवन समर्पित करके दे। गुरू अगमदास जी के प्रेरणा ले स्वाधीनता के आंदोलन, समाजसुधार अउ मानव उत्थान बुता म ओमन बढ़-चढ़कर हिस्सा लिस। स्वतंत्रता पाछु लोकसभा के पहिली चुनाव 1951-52 म सम्पन्न होइस। मिनीमाता सन् 1951 ले 1971 तक सांसद के रूप म लोकसभा के सदस्य रहींस। छत्तीसगढ़ के पहिली महिला सांसद के रूप म दलित अउ महिला मन के उत्थान के खातिर करे गे बुता के खातिर ओला सदा सुरता करे जाही। अविभाजित मध्यप्रदेश म बिलासपुर-दुर्ग-रायपुर आरक्षित सीट ले लोकसभा के पहिली महिला सांसद चुनी गिस। येकर बाद परिसीमन म अनुसूचित जाति के खातिर आरक्षित जांजगीर लोकसभा क्षेत्र ले चार बार चुनाव जीत करके लोकसभा पहुंचिस।


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