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रोका-छेका |
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के मुताबिक खेती-किसानी ले जुरे छत्तीसगढ़ के ग्रामीण संस्कृति के जुन्ना परंपरा के मुताबिक गांव म अवइया फसल के बुआई के पहिली खुला चरात गरवा मनले फसल मन ल बचाये खातिर ए साल तको ‘‘रोका-छेका’’ कार्यक्रम के आयोजन करे जाही।
रोका-छेका ले किसान अउ पशुपालक अपन पशु मन ल खुला म चराई के खातिर नइ छोड़े के संकल्प लेवत हावयं, ताकि फसल मन के नुकसान झन पहुंचे। पशु मन के घर, बाड़ी अउ गउठान म रखे जात हावय अउ उंकर चारा-पानी के प्रबंध तको करे जाथे। गांव म गउठान के बने ले रोका-छेका के काम अब अउ भी जादा आसान हो गे हावय। गउठान म पशु मनके देखभाल अउ उंकर चारा-पानी के बेवस्थाव के चिन्ता अब किसान मन अउ पशुपालक के नइ हावय। गउठान म येकर प्रबंध पहिली ही करे हावय।
कलेक्टर अउ जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी मनला रोका-छेका कार्यक्रम के आयोजन के संबंध म विस्तार ले दिशा-निर्देश जारी करे गे हावयं। प्रदेस के सबो कलेक्टर मन अउ जिला पंचायत मनके मुख्य कार्यपालन अधिकारी मनला छत्तीसगढ़ के रोका-छेका प्रथा के मुताबिक गउठान म पशु मन के प्रबंधन अउ रख-रखाव के उचित बेवस्था करे, पशुपालक अउ किसान मनला अपन पशु मन ल घर म बांधे रखे के खातिर प्रोत्साहित करे अउ गांव म पहटिया (चरवाहा) के बेवस्था करे के संबंध म 20 जून तक गांव स्तर म बइठ आयोजित करे के निर्देश दे गे हावयं।
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