छत्तीसगढ़ी समाज के स्वाभिमान जगाये के एक उदीम : हीरा छत्तीसगढ़

अंजोर
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जागेश्वर प्रसाद के निबंध पोथी ‘हीरा छत्तीसगढ़’ छत्तीसगढ़ी समाज के स्वाभिमान जगाये के एक जबर उदीम आए। येमा 23 ठी लेख ल समोखे गे हाबे। सबो लेख छत्तीसगढ़ी भासा म हावय जेला पढ़त तन-मन म सोसित छत्तीसगढि़या समाज बर अगाध पीरा उमड़थे। छत्तीसगढि़या मनके अस्मिता अउ स्वाभिमान खातिर छत्तीसगढ़ महतारी के एक हीरा सहिक बेटा जागेश्वर प्रसाद पाछु 55 साल ले मसाल ऊंचाये हावय। उंकरे सहिक पुरखा मनके तियाग, तपस्या अउ समरपन ले आज छत्तीसगढ़ म नवा बिहान आए हावय।

‘हीरा छत्तीसगढ़’ म तइहा के कतकोन पय ल पाठक मनके बीच राखे गे हाबे। जेमा पहिली लेख हमार हीरा-छत्तीसगढ़ म लेखक ह मानव जनम ल अनमोल बतावत लिखथे के– ‘जउन छत्तीसगढ़ के माटी अउ संस्कृति म रच-पच जाथे ओहर जरूर हीरा के गुन ल पा जाथे। अऊ जउन छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढि़या संग दोगलई करथे, भेदभाव रखथे ओहर पथरा बनके पथरा जाथे हीरा नइ बन पावय’। ओमन दिसंबर म जनम धरइया छत्तीसगढ़ के हीरा म संत गुरू घासीदास, जमींदार गोविंद सिंह, पं. सुंदरलाल शर्मा, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, धनश्याम सिंह गुप्त, कंगला मांझी, राजा रामानुज सिंहदेव, पं. जगदीश प्रसाद तिवारी, जयनारायण पांडेय संग रविशंकर शुक्ल, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, चंद्रिका प्रसाद पाण्डेय, हरि ठाकुर जी ल सुरता करे हावय।

इही रकम ले माटी पूत के लच्छन, छत्तीसगढि़या-गैर छत्तीसगढि़या के बीच लछमन रेखा, छत्तीसगढ़ी के दसा अउ दिसा, छत्तीसगढ़ी पत्रकारिता के बिकास यातरा, करजा ले मुक्त होना, छत्तीसगढ़ी समाज के पीछड़ापन के कारन अउ उपाय लेख म लेखक ह बहुत गंभीरता ले किथे के ‘जउन वर्ग या परिवार हीन भावना ले ऊपर उठके सिक्छा अउ संस्कार ल बदले के उदीम करथे ओही परिवार (समाज) ह आरथिक, सांस्कृतिक अउ राजनैतिक क्षेत्र म तरक्की घलो करिस’। आगू ओमन सहकारिता के जननी : छेरछेरा पुन्नी, पोरा-तीजा परब, घानी के बइला, सत संग, जीवन के असली जातरा- आठ कोसी जातरा जइसन लेख म मनखे ल दुनिया म अवतरे के कर्मकांड अउ मोक्ष कोति लेगे के रसता देखाये हावय। ओमन किथे के ‘ जउन जातरा ले जीवन-मरन के भंवर ले छुटकारा मिलथे। ओ जातरा ह अंदरमुखी, आध्यात्मिक होथे, येही जातरा ले मानव अपन परम लक्ष्य, परम शांति अउ परमानंद ल हासिल करथे। 

जागेश्वर प्रसाद ल छत्तीसगढ़ी पत्रकारिता के पुरोधा कहे जाथे ओमन 1965 म प्रदेश के पहिली छत्तीसगढ़ी पत्रिका ‘छत्तीसगढ़ी सेवक’ के संपादन करिस। नवा लिखइया मनला एक मंच देके संगे-संग ओमन ल छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढि़या वाद के भावना ल जन-जन म बगराये के अभियान चलाइस। अऊ ये निबंध पोथी ‘हीरा छत्तीसगढ़’ म उही बखत के लिखे 22 ठी आलेख ल 88 पेज के पुस्तक के रूप म संग्रहित करके वैभव प्रकाशन के माध्यम ले पाठक तक पहुंचाये हाबे। ये किताब छत्तीसगढ़ के मूल निवासी मनके सामाजिक, आरथिक अउ राजनैतिक दसा-दिसा ऊपर चिंतन करइया बर घातेच उपयोगी हावय।

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छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।

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