अंजोर.रायपुर, 11 सितंबर। छत्तीसगढ़ी व्याकरण के सर्जक काव्योपाध्याय हीरालाल जी के सुरता म 11 सितंबर के ‘सुरता हीरालाल’ कार्यक्रम के आयोजन नव उजियारा साहित्यिक, सांस्कृतिक संस्था अउ अंजोर के संयुक्त तत्वावधान म आयोजित करे गिस। 11 सितंबर 1884 म व्याकरर्णाचार्य हीरालाल ल बंगाल के राजा सुरेंद्र मोहन ठाकुर के संस्था डहर ले ‘काव्योपाध्याय उपाधि’ अउ ‘स्वर्ण बाजूबंद’ ले सम्मानित करे गे रिहिस। काबर के काव्योपाध्याय जी के जन्म अउ देहावसान के तिथि के जानबा नइये इही सेती प्रदेश के साहित्यकार मन 11 सितंबर ल बहुत ही खास दिन मानके उंकर सुरता करथे। कार्यक्रम म विशेष रूप ले लोकखेल उन्नायक, साहित्यकार चंद्रशेखर चकोर, गीतकार गोविंद धनगर, कवि दुष्यंत कुमार साहू अउ लेखक जयंत साहू सहित केऊ झिन साहित्यकार उपस्थित रिहिस। ए मउका म साहित्यकार मन ह काव्योपाध्याय हीरालाल जी के छत्तीसगढ़ी भाषा म योगदान के बढ़ई करत किहिन के 1885 म छत्तीसगढ़ी के व्याकरण आ चुके रिहिस, जबकि हिन्दी के 1920 म आइस। हीरालाल जी साहित्यकार, शिक्षाविद् अउ संगीत के ज्ञाता रिहिस। उंकर लेख व्याकरण के अंग्रेजी अनुवाद सर जार्ज ग्रियर्सन ह 1890 म प्रकाशित करिन, जेकर उल्लेख प्रदेश के कई इतिहासकार अउ साहित्यकार करत हावय।
छत्तीसगढ़ के अइसन महान विभूति काव्योपाध्याय हीरालाल के नाम ले छत्तीसगढ़ राज्य बने के 20 साल बाद भी कोनो सम्मान अउ आयोजन सरकार डहर ले नइ करे जाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हावय, येकर ले छत्तीसगढ़ी साहित्य बिरादरी आहत हावय। ए मउका म साहित्यकार मन ह सरकार ले ये मांग करिस के हर साल 11 सितंबर के छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति विभाग डहर ले सुरता कार्यक्रम के आयोजन हो, अऊ छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस म दे जाये वाला राज्य अलंकरण म काव्योपाध्याय हीरालाल के नाम म छत्तीसगढ़ी भाषा म जाबर बुता करइया ल सम्मानित करे जाए। अभी सरकार डहर ले संस्कृति परिषद् के गठन करे जात हावय जेमा काव्योपाध्याय हीरालाल के नाम ले भी एक शोध संस्थान के गठन करे जाए, जेन छत्तीसगढ़ी भाषा के संरक्षण अउ संवर्धन के संग छत्तीसगढ़ी लेखन के इतिहास म शोधपरक बुता करही।
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