छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया ल देश म सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केन्द्र के सम्मान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के स्थापना दिन के मउका म साल 2020 पंडित दीनदयाल उपाध्याय कृषि विज्ञान राष्ट्रीय प्रोत्साहन पुरस्कार

अंजोर
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अंजोर.रायपुर, 16 जुलाई, 2021। छत्तीसगढ़ ह कृषि विकास के क्षेत्र म एक बार फेर राष्ट्रीय स्तर म अपन परचम फहराये हावय। छत्तीसगढ़ राज्य के कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया ल भारत सरकार डहर ले देश के सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केन्द्र के रूप म पुरस्कृत करे गे हावय। कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया ल छत्तीसगढ़ शासन के महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा अउ बाड़ी के प्रभावी क्रियान्वयन अउ किसान मन म उद्यमिता विकास बर सम्मानित करे गे हावय। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के 93 वें स्थापना दिन के मउका म आज कृषि भवन नवा दिल्ली म आयोजित सम्मान समारोह म केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ह कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया के देश भर म संचालित 722 कृषि विज्ञान केन्द्र म सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केन्द्र के रूप म कृषि विज्ञान राष्ट्रीय प्रोत्साहन पुरस्कार-2020 ले सम्मानित करिन। 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कृषि अउ जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ह कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया के ए गौरवपूर्ण उपलब्धि म बधाई अउ शुभकामना दीस हावयं। कृषि मंत्री ह किहिन हावय के कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया के टीम ह अपन अथक मेहनत अउ नवाचार ले कोरिया जिला के किसान मन ल लाभकारी अउ उन्नत खेती तनि प्रेरित करे हावय।

कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया के वरिष्ठ वैज्ञानिक अउ प्रमुख डॉ. रंजीत सिंह राजपूत ह ये पुरस्कार वर्चुअल माध्यम ले ग्रहण करिन। जानबा होवय के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के ले संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र के चौथा बार राष्ट्रीय स्तर म सम्मानित करे गे हावय। येकर पहिली कृषि विज्ञान केन्द्र बस्तर, कृषि विज्ञान केन्द्र दंतेवाड़ा अउ कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर के राष्ट्रीय स्तर म सम्मानित करे जा चुके हावय।

जानबा होवय के जिला प्रशासन-कोरिया के सहयोग ले कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया डहर ले 55 एकड़ म गउठान गांव म चारागाह विकास कार्यक्रम के ले चारा फसल मन के उन्नत किस्म जइसे-नेपियर, बहुवर्षीय ज्वार के प्रादर्श प्रक्षेत्र स्थापित करे गिस। गउठान गांव म नगदी फसल मन ल बढ़ावा दे के खातिर 35 एकड़ म हल्दी के उन्नत प्रजाति जइसे-रोमा, बी.एस.आर-2 अउ रश्मि के प्रदर्शन प्रक्षेत्र स्थापित करे गे हावय। किसान मन के सामूहिक बाड़ी के चयन करके 75 एकड़ म ड्रिप पद्धति ले फलदार मातृवाटिका तइयार करके अर्न्तवर्तीय खेती के रुप म सामूहिक बाड़ी म फसल विविधकरण ले 40-50 एकड़ म पड़त भूमि विकास के ले लेमनग्रास, खस, पामारोजा, सिट्रोनेला अउ शकरकन्द उकका रोपण करके पड़त भूमि के फसल सघनता के 300 प्रतिशत तक आंका गिस। 

केन्द्र डहर ले बाड़ी विकास कार्यक्रम म सब्जी के उन्नत प्रजाति सह फलदार पौधा रोपण के तकनीकी प्रदर्शन 200 बाड़ी म क्रियान्वित करिन। घुरवा प्रबंधन के बढ़ावा दे के खातिर आदिवासी किसानसमूह डहर ले  कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया अउ मनरेगा ले 100 केचुआ टांका के स्थापना करके केचुआ खाद, वर्मीवाष अउ केचुआ के बेचे गिस। वैज्ञानिक मन डहर ले गउठान गांव म महिला समूह के गुणवत्ता युक्त केचुआ अउ खातु उत्पादन, केचुआ उत्पादन के प्रशिक्षण अउ तकनीकी मार्गदर्शन सरलग दे जात हावय।  

कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया डहर ले किसान मनके संगठित करके किसान उत्पादक संगठन ‘‘कोरिया एग्रोप्रोड्यूसर’’ नामक कम्पनी बनाये गे हावय, जेन 22 कृषि आधारित जिनिस के निर्माण, प्रसंस्करण अउ विपण करे हावय। 573 किसान सदस्य वाला ए कम्पनी ह ए साल 42 लाख रूपिया के व्यवसाय करे हावय। ए किसान उत्पादक संगठन म 72 प्रतिशत सदस्य आदिवासी किसान हाव। जिला प्रशासन कोरिया के वित्तीय सहयोग ले कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया के तकनीकी मार्गदर्शन म किसान उत्पादक संगठन के खातिर प्रसंस्करण अउ मूल्यवर्धन जिनिस बर दुग्ध प्रसंस्करण, सगंध तेल निष्कासन बर भाप संयंत्र, दाल मिल, राईस मिल, खाद्य तेल मिल, सगंध अगरबत्ती निर्माण मशीन के स्थापना करके 20-25 जिनिस मानक आधार म तइयार करा के विपणन के खातिर खादी इंडिया, ट्राईफेड इंडिया, हस्त शिल्प विकास बोर्ड, खादी ग्रामोद्योग उक ल उपलब्ध कराये जात हावय। महिला समूह के आजीविका उन्नयन बर केन्द्र डहर ले हस्त बने साबुन अउ अगरबत्ती निर्माण अउ विपण के भी प्रशिक्षण दे जात हावय। 

कृषि विज्ञान केन्द्र डहर ले जिला के किसान मन के प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना अउ मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के ले सरलग व्यवसायिक प्रशिक्षण दे जात हावय। नवोन्मेषी कृषि, उद्यानिकी अउ संबंधित गतिविधी म सिंदूर हर्बल पावडर, लेमनग्रास चायपत्ती, शकरकंद आटा, हल्दी, नीलगिरी अउ सौंफ के पत्ति अउ टहनी ले सगंध तेल निष्कासन अउ गउठान गांव म सौंफ के खेती के प्रदर्शन करे जात हावय।

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