सुरता छत्तीसगढ़ी और हिन्दी के वरिष्ठ कवि, लेखक, आलोचक, समीक्षक डॉ. बलेदव साव जी के... 27 मई जयंती विशेष
डॉ. बलदेव के चिन्हारी हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी साहित्य जगत म सबो विधा म समान रूप ले सक्षम लेखक के रूप म होथे, फेर मैं उनला पहिली बेर एक समीक्षक के रूप म जानेंव। तब मैं छत्तीसगढ़ी मासिक पत्रिका 'मयारु माटी' के प्रकाशन-संपादन करत रेहेंव। उंकर पहिली रचना मोर जगा आइस, जेमा उन सियान साहित्यकार हरि ठाकुर जी के रचना संसार के लाजवाब समीक्षा लिखे रहिन हें। वोला पढ़के मैं बहुत प्रभावित होएंव। एकर पहिली मैं छत्तीसगढ़ी म अतका सुंदर समीक्षा अउ ककरो नइ पढ़े रेहेंव, तेकर सेती उनला तुरते चिट्ठी लिखेंव, कि अइसने सरलग जम्मो सियान साहित्यकार मनके समीक्षा पठोवत जावव 'मयारु माटी' के सबो अंक मन म सरलग छापत जाबोन। वोमन सिरतोन म लगातार समीक्षा भेजे लागिन। वोकर समीक्षा मनके चारों मुड़ा गजब चर्चा होए लागिस। एकर सेती उन मोला काहंय घलो- 'सुशील बेटा, तैं मोला समीक्षक बना दिए रे।' ए बात ल उन कतकों मंच म घलो कहि देवत रिहिन हें।
तब चिट्ठी पाती के माध्यम ले ही गोठ-बात हो पावत रिहिसे। आज कस फोन/मोबाइल के बटन ल चपक ले अउ ससन भर गोठिया ले अइसन जमाना नइ रिहिसे। मोर उंकर संग पहिली बेर भेंट सन् 1988 म तब होइस, जब हमन छायावाद के प्रवर्तक कवि पद्मश्री मुकुट धर पाण्डेय जी के सम्मान करे खातिर रायगढ़ गे रेहेन। असल म छत्तीसगढ़ी भासा साहित्य प्रचार समिति के 1988 म रायपुर म प्रदेश स्तरीय जलसा होए रिहिसे, तेमा सियान साहित्यकार मनके सम्मान करे गे रिहिसे, फेर आदरणीय पाण्डेय जी स्वस्थ्य गत कारण के सेती रायपुर नइ आ पाए रिहिन हें, तेकर सेती समिति ह निर्णय करीस के रायगढ़ जा के उंकर घरेच म सम्मान करोबन। समिति के संयोजक जागेश्वर प्रसाद, अध्यक्ष डॉ. व्यास नारायण दुबे अउ मैं, हम तीनों रायगढ़ जाए के तारीख जोंगेन अउ डॉ. बलदेव जी ल चिट्ठी पठो देन के फलाना दिन हमन आवत हन, उहाँ के सबो साहित्यकार मनला घलो चेता देहू।
आदरणीय डॉ. बलदेव जी के माध्यम ले पं. मुकुट धर पाण्डेय जी के एक पइत अउ आशीर्वाद मिलिस। मोर पहिली कविता संकलन 'छितका कुरिया' खातिर वोमन आशीर्वचन देइन। उहू म छत्तीसगढ़ी म लिखके। तब वोमन केहे रिहिन हें, मैं अपन जिनगी म पहिली बेर ककरो खातिर छत्तीसगढ़ी म संदेश लिखे हंव। अपन लेटर पेड म मोती कस अक्षर म लिखे रिहिन हें। महूं वोला कविता संकलन म ब्लाक बनवा के छपवाए रेहेंव। वो किताब के भूमिका ल डॉ. बलदेव जी ही लिखे रिहिन हें।
डॉ. बलदेव जी के जनम ग्राम नरियरा, जिला जांजगीर चांपा के किसान हरा लाल साव अउ महतारी बिसाहिन देवी के घर 27 मई 1942 के होए रिहिसे। वोमन आठवीं कक्षा के पास करते सन् 1958 म ही मिडिल स्कूल म पढ़ाए ले धर ले रिहिन हें। वोमन मास्टरी करतेच करत अपनो पढ़ाई ल चालू राखिन, अउ बीए एमए फेर पीएचडी करीन। एकर संगे-संग उंकर लेखनी घलो चले लागिस। उंकर कहना रहिस, के जे दिन लेखनी रुक जाही, वोही उंकर जिनगी के आखिरी दिन होही।
डॉ. बलदेव जी के लेखनी साहित्य के हर विधा म चलिस, जे मन देश अउ प्रदेश के जम्मो प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिका म सम्मान पाइन। पद्मश्री मुकुट धर पाण्डेय, रायगढ़ नरेश राजा चक्रधर सिंह अउ पं. सुंदर लाल शर्मा ऊपर उंकर विशिष्ट शोध ह विशेष उल्लेखनीय हे। वोमन रायगढ़ म हर बछर आयोजित होने वाला गौरवशाली आयोजन "चक्रधर समारोह" के संस्थापक सदस्य घलो आंय।
डॉ. बलदेव साव जी सही मायने म इहाँ के साहित्य अउ साहित्यकार मन के धारनखंभा रिहिन हें। कतकों नवा अउ जुन्ना साहित्यकार मनला साहित्य जगत म चिन्हारी देवा के स्थापित करिन। एकरे सेती उनला चारों मुड़ा सराहना अउ सम्मान घलो मिलिस। वैष्णव संगीत महाविद्यालय बिलासपुर/रायगढ़ ले चक्रधर सम्मान, नगर पालिक निगम रायपुर ले पं. मुकुटधर पाण्डेय सम्मान, छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य सम्मेलन ले हरि ठाकुर, छत्तीसगढ़ साहित्य सम्मेलन ले महावीर अग्रवाल सम्मान सहित अउ अबड़ अकन सम्मान। सागर वि। वि। के बी। ए। रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर के कक्षा ए। एम। पाठ्यक्रम म उंकर किताब घलो रिहिस। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर के बी। ए म सहायक पुस्तक के रूप म (छायावाद और पं. मुकुटधर पाण्डेय - लेखक डॉ. बलदेव) रहिस। वोमन कतकों देश के साहित्यिक यात्रा घलो करे रिहिन।
ए ह बहुत सौभाग्य के बात आय के अइसन महान साहित्यकार ल दू पइत महूं ल सम्मान करे के अवसर मिलिस। पहिली बेर सन् 2012 म हीरालाल काव्योपाध्याय सम्मान" हमर समिति नव उजियारा साहित्य समिति के द्वारा दिए गइस, अउ दूसरइया बेर सन् 2018 म डॉ. सुखदेव राम साहू जी के संस्था समाज गौरव प्रकाशन द्वारा सर्वोच्च सम्मान "गुरु गोरखनाथ सम्मान" ए सम्मान खातिर डॉ. साव जी शारीरिक अस्वस्थता के सेती रायपुर नइ पहुंच पाए रिहिन, त हमन रायगढ़ म उंकर घर जाके सम्मान करे रहेन।


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