कलेक्टर राठौर के निर्देशानुसार कृषि विज्ञान केन्द्र डहर ले जून-जुलाई माह म 10 हजार सिन्दुर के पौधे तैयार करे के लक्ष्य रखे गे हावय। जेला ग्राम गौठान म रोपित करे जाही। केवीके के वरिष्ठ वैज्ञानिक आर एस राजपूत बताथे के सिन्दुर के पौधे जेला अंग्रेजी म अन्नाटो या अचौटी किथे। येकर वैज्ञानिक नाम विक्सा ओरेलाना हावय। वर्तमान म कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया म 500 पौधा करीब पांच साल पहली लगाए गे रिहिस, जेमा बीज आना शुरु हो गे हावय। आदिवासी कृषक मनके डहर ले हस्त निर्मित साबून म रंगत खातिर अन्नाटो के उपयोग करे जात हावय। साथ ही साथ होली तिहार म प्राकृतिक रंग के रुप म भी येकर उपयोग करे जा सकत हावय। येकर अर्क के उपयोग अमेरिका व आन दे म भोज्य पदार्थ ल रंगे म करे जाथे।
मुख्य रुप ले येकर उपयोग सौन्दर्य प्रसाधन जइसे - लिपस्टिक, हेयर डाई, नेल पॉलिश, साबुन, सहित आइसक्रीन, मक्खन म रंगत लाने खातिर तको करे जाथे। येकर बीजहा ल आन मसाला के साथ पीसके पेस्ट या पाउडर बनाके भोज्य पदार्थ म रंगत लाये खातिर करे जात हावय। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल म करीब 400 पौधा रोपित करे जात हावय। चार वर्ष के पौधा ले 4-5 किलो सूखा बीज प्राप्त होत हावय। एक हेक्टर ले 800-1000 किलो सूखा बीज प्राप्त होत हावय। 1000 किलो बीज ले 700-800 किलो सिन्दुर के पाउडर प्राप्त होत हावय। बाजार म सिन्दुर के पाउडर 180 ले 200 रूपये किलो तक बिकत हावय। ये रकम ले किसान एक हेक्टयेर क्षेत्रफल ले 1.25 ले 1.50 लाख तक के सकल आमदनी अर्जित कर सकत हावय।
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