अंजोर.नई दिल्ली। ब्रिटिश काल के भारत म अवइया सैन्य छावनी म सैनिक मनके गाय के हाइजीनिक दूध उपलब्ध कराये के खातिर सैन्य फार्म स्थापित करे गे रिहिस। पहिली सैन्य फार्म 01 फरवरी 1889 के इलाहाबाद म तइयार करे गे रिहिस। स्वतंत्रता के बाद अवइया कृषि-जलवायु परिस्थिती के अनुसार पूरा भारत म 30,000 मवेशी के संग 130 सैन्य फार्म बनाये गे रिहिस। 1990 के दशक के अंत म लेह अउ कारगिल म भी दैनिक आधार म सैनिक मनके ताजा अउ स्वच्छ दूध के आपूर्ति के उद्देश्य के संग सैन्य फार्म के स्थापना करे गे रिहिस। येकर एक आन प्रमुख बुता सैन्य भूमि के बड़का इलाका के देखभाल करे अउ पशु के प्रबंधन करइया इकाइ के खातिर बड़ मात्रा म उत्पादन अउ आपूर्ति करना रिहिस।
एक सदी ले जादा समय तक सैन्य समर्पण अउ प्रतिबद्धता के संग 3.5 करोड़ लीटर दूध अउ 25000 मीट्रिक टन घास के हरेक साल आपूर्ति करे गिस। एला ही मवेशी के कृत्रिम गर्भाधान के तकनीक के नेतृत्व करे अउ भारत म संगठित डेयरिंग शुरू करे के श्रेय दे जाथे। साल 1971 के युद्ध के बखत पश्चिमी अउ पूर्वी युद्ध मोर्च म कृषक सेवा प्रदान करत दूध के आपूर्ति के संग-साथ कारगिल युद्ध के समय उत्तरी कमान म येकर संचालन बुता जबर रिहिस। कृषि मंत्रालय के सहयोग ले "प्रोजेक्ट फ़्रीस्वाल" के शुरुआत करे गिस, जेला दुनिया के सबसे बड़े मवेशी क्रॉस-ब्रीडिंग कार्यक्रम के श्रेय दे जात हावय। सैन्य फार्म ह जैव-ईंधन के विकास म डीआरडीओ के संग मिलके काम करे हावय।
सबो पाठक ल जोहार..,
हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।