कुरूद के नारी गांव म महिला मन इलेक्ट्रॉनिक चाक चलाके माटी म गढ़त हावय आजीविका

अंजोर
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अंजोर.धमतरी। आधुनिकता अउ वैज्ञानिकता के दौर म पुरातन परम्परा अउ संस्कृति ल बचाये रखना आज गजब चुनौती होगे हावय। अइसन म अपन पुश्तैनी व्यवसाय ले जुड़े लोगन ल येला जारी रखे खातिर गजब मेहनत करे बर परत हाबे। कतको झिन मन ये बुता ल छोड़के आन काम धंधा तको सुरू कर दे हावय। एजेंसी कोति ले आरो मिले हावय के कुरूद विकासखण्ड के ग्राम नारी म महिला समूह ल मल्टी युटिलिटी सेंटर म माटीकला के प्रशिक्षण दे जावत हाबे जिहा माटी के कलात्मक बर्तन, उपकरण बनाये के उत्कृष्ट प्रशिक्षण संग म काम के एवज म पइसा तको मिलत हाबे।

जुन्ना बखत म कुम्हार के बनाये माटी बर्तन ल बउरे, ये उंकर जीविकोपार्जन के सशक्त माध्यम तको रिहिसे। अब कुछ बछर म मशीनीकरण के दौर म श्रमसाध्य काम अउ संस्कृति, कला शिल्प के अधोपतन होए हाबे जेकर सेती पुरखा के बुता ल छोड़के आन काम अपनावत हाबे। इही शिल्प कला ल फेर जिवित करे खातिर छत्तीसगढ़ माटीकला बोर्ड ह समूह के महिला मनला मृदा शिल्प के प्रशिक्षण देत हावय। जेमा माटी के कुल्हड़, कप, गिलास, केतली, दाल-कटोरा, रोटी-कटोरी, पानी बोतल, बिरयानी हण्डी, पेन स्टैण्ड, गमला आदि बनावत हावय। अऊ पारंपरिक चाक के जघा इलेक्ट्रॉनिक चाक चलाके महिला मन नंदावत बुता ल अपनाये के संगे-संग अवइया दिन म येला आमदनी के बेहतर अउ सशक्त माध्यम बनाये उदीम होही।

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