प्रसंस्करण केन्द्र प्रभारी बताये हाबे के इहां चार महिला स्व सहायता समूह काम करत हावय। हर मौसम म कोई ना कोई लघु वनोपज प्रसंस्करण के बुता मिलत हावय। वन विभाग ओ मनला संसाधन के संग ही समय-समय म नवा तकनीक के प्रशिक्षण अउ मशीन उपलब्ध कराथे। अउ तइयार उत्पाद ल स्थानीय स्तर म अगर खरीददार तय दर म ले बर पहुंचथे त, ओला बेच देथे। संग म एन.एफ.डब्ल्यू.पी. मार्ट म तइयार उत्पाद बेचे के खातिर भेज देथे। बताये गे हावय के सितंबर ले जनवरी तक इहां सतावर के पाउडर, जोन ल महिला, खासतौर म शिशुवती माता के खातिर पौष्टिकता ले भरपूर होत हावय, वोला तइयार करे जाथे। लघु वनोपज आंवला ले मीठा नमकीन कैण्डी, जूस, पाउडर बनाये के बुता अक्टूबर ले फरवरी तक समूह करथे। उहे उपवास अउ गर्मी म शीतलता देवइया शरबत के तौर म उपयोग करइया तिखुर पाउडर तको समूह तिखुर कंद ले बनाथे। ये बुता दिसंबर ले फरवरी तक चलथे। येकरे संग बैचांदी ले चिप्स बनाये के बुता दिसंबर ले फरवरी तक समूह करथे। जोन कृमिनाशक होवे के संग ही फलाहारी के तौर म इस्तेमाल करे जाथे। इहां कार्यरत महिला समूह ल मार्च ले जून तक केक्ती ले सूखा रेशा बनाये के बुता तको मिलत हावय। येकर रेशा ले रस्सी बनाके पायदान, थैला आदि बनाये जाथे।
येकर अलावा जिला म लगभग 140 कमार परिवार गर्मी के दिन म जंगल ले 100 क्विंटल के आसपास शहद लाके बेचत हाबे। पहिली इहां कमार परिवार स्थानीय व्यापारी ल सस्ता दर म शहद बेच देवे, फेर अब न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होवे के बाद कमार जनजाति के लोगन येला प्रसंस्करण केन्द्र म बेच के उचित दाम पात हाबे। मिले आरो के मुताबिक इहां चार महिला समूह ल प्रसंस्करण ले रोजगार मिलत हाबे, जेमा जागृति बालिका स्व सहायता समूह, जय मां बम्लेश्वरी, जय मां संतोषी अउ जय मां लक्ष्मी स्व सहायता समूह हाबे। सबो समूह म दस-दस सदस्य हाबे।
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