भारत सरकार डाहर ले मनेरगा (MGNREGA) के नाम ल बदल के अब 'जी राम जी' (G RAM G) करे के फैसला ले गे हे। एक कोति जिहाँ बड़े नेता मन के बीच नाम ल लेके बहस छिड़े हे, त दूसर कोति सबले बड़े सवाल ये हे कि ये बदलाव ले हमर गांव के मजदूर भाई-बहिनी मन के जिनगी मा का फरक पड़ही?
मजदूर मन के दशा: उम्मीद अउ डर
योजना के नवा रूप मा मजदूर मन बर कुछु बने बात घलो हे अउ कुछु चिंता के विषय घलो:
- 125 दिन के काम: सरकार ह अब काम के दिन ल 100 ले बढ़ा के 125 दिन कर दे हे। ये हमर गरीब परिवार मन बर कोनो सहारा ले कम नोहे, काबर कि एकर ले उंकर सालाना कमाई बढ़ जाही।
- हफ्तावार भुगतान (Weekly Payment): मनेरगा मा सबले बड़े समस्या रिहिस हे-मजदूरी के पईसा मा देरी। अब सरकार कहत हे कि पईसा हर हफ्ता मिलही। अगर अइसन होथे, त मजदूर मन ल कर्ज ले छुटकारा मिल सकथे।
- मजदूरी दर के सवाल: मजदूर मन के कहना हे कि सिर्फ दिन बढ़ाए ले कुछु नइ होवय, महंगाई ल देखत हुए रोज के मजदूरी (रेट) ल घलो बढ़ाना चाही।
नाम के बदलाव: पहिचान के गोठ
नाम बदले ल लेके दुनो कोति ले बात आवत हे:
- सांस्कृतिक जुड़ाव: सरकार के कहना हे कि 'राम' के नाम ले मजदूर मन मा एक भरोसा जगही अउ काम मा ईमानदारी आही। छत्तीसगढ़ मा 'जय रामजी' कहना हमर परंपरा आय, अइसन मा मनखे मन योजना ले जादा जुड़ही।
- गांधीजी के नाम हटाय के विरोध: विपक्ष अउ कुछु मनखे मन के कहना हे कि 'महात्मा गांधी' के नाम ह एक 'अधिकार' के प्रतीक रिहिस। नाम बदले ले योजना के कानूनी ताकत कम हो सकथे, अइसन डर घलो जताय जावत हे।
बजट के नवा नियम: का मजदूर मन ल काम मिलही?
सबले जादा चर्चा 60:40 के नियम ऊपर हे। अब केंद्र सरकार ह मजदूरी के पूरा पईसा नइ देवय। राज्य सरकार ल घलो 40% पईसा मिलाना पड़ही।
- चिंता: अगर राज्य सरकार तीर पईसा के कमी होही, त ओमन मजदूर मन ल काम दे मा आना-कानी कर सकथें। एकर ले मजदूर मन के 'काम मांगे के अधिकार' कमजोर पड़ सकथे।
छत्तीसगढ़ मा परभाव
छत्तीसगढ़ मा लाखों मनखे मनेरगा ऊपर निर्भर हें। नाम बदले ले गांव मा राजनीतिक सरगर्मी त बढ़ गे हे, फेर असली मजदूर ल मतलब हे अपन रोजी-रोटी ले। अगर पईसा सही समय मा मिलही अउ 125 दिन काम मिलही, तभे ये 'जी राम जी' योजना सफल माना जाही।
नाम चाहे मनेरगा राहय या 'जी राम जी', गरीब मजदूर ल सिर्फ 'काम अउ दाम' ले मतलब हे। अगर ये नवा बदलाव ले भ्रष्टाचार रुकथे अउ मजदूर ल ओकर हक के पईसा जल्दी मिलथे, त ये बदलाव सही मायने मा जनहित मा होही।
2005 ले 2025: 20 साल बाद नाम बदले के 'टाइमिंग' अउ कारण
जब भाजपा 2014 ले सत्ता मा हे, त 11 साल तक चुप रह के अब 2025 मा नाम बदले के जरूरत काबर पड़ी? एकर पीछे कुछु मुख्य कारण माने जावत हें:
- 'विकसित भारत 2047' के विजन: सरकार ह अब हर योजना ल अपन 2047 के लक्ष्य (विकसित भारत) ले जोड़त हे। उंकर कहना हे कि 'मनेरगा' पुराना ढांचा मा रिहिस, अब 'जी राम जी' (G RAM G) एक नवा युग के शुरुआत आय।
- काम के दिन बढ़ाना (125 दिन): सरकार ह तर्क दे हे कि वो मन सिर्फ नाम नइ बदलत हें, बल्कि काम के दिन ल 100 ले बढ़ा के 125 करत हें। अइसन मा एकर नवा ब्रांडिंग जरूरी रिहिस।
- क्रेडिट वार (Credit War): राजनीति मा अक्सर अइसन होथे कि सरकार मन चाहथें कि बड़े योजना मन के पहिचान उंकर कार्यकाल ले होवय। मनेरगा ल कांग्रेस के 'मास्टरस्ट्रोक' माने जाय, जेला अब भाजपा अपन नवा रूप मा पेश करत हे।
सोशल मीडिया मा बड़े नेता मन के पोस्ट
दिसंबर 2025 मा जब ये विधेयक संसद मा पेश होइस, त सोशल मीडिया (X/Facebook) मा जंग छिड़ गे। देखव कउन का लिखिस:
राहुल गांधी (विपक्ष के नेता):
राहुल गांधी ह एक लंबा पोस्ट लिख के सरकार ल घेरिस:
"मोदी जी ल दू चीज ले बहुत नफरत हे—महात्मा गांधी के विचार अउ गरीब मन के अधिकार। मनेरगा बापू के 'ग्राम स्वराज' के सपना आय। आज सरकार ह एक दिन मा 20 साल पुराना ये सुरक्षा चक्र ल ध्वस्त कर दीस। ये 'जी राम जी' योजना असल मा मजदूर मन के हक ल छीने के एक जरिया आय। केंद्र ह अब राज्यों ऊपर 40% खर्च के बोझ डाल के ये योजना ल खत्म करना चाहत हे।"
शिवराज सिंह चौहान (केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री):
सरकार डाहर ले मोर्चा संभालत उमन पोस्ट करीस:
"मजदूर भाई-बहिनी मन बर आज के दिन ऐतिहासिक हे। 'जी राम जी' योजना अब गरीब मन ल 125 दिन के गारंटी वाला रोजगार देही। ये सिर्फ नाम के बदलाव नोहे, बल्कि भ्रष्टाचार मुक्त अउ पारदर्शी व्यवस्था के शुरुआत आय। राम राज्य के परिकल्पना मा हर हाथ ल काम मिलना ही असली विकास हे।"
शशि थरूर (कांग्रेस नेता):
उमन एक फिल्मी अंदाज मा सरकार ऊपर तंज कसीस:
"राम का नाम बदनाम न करो... बापू का नाम हटाना देश के इतिहास अउ आत्मा ऊपर प्रहार आय। महात्मा गांधी दुनिया बर सत्य अउ अहिंसा के प्रतीक हें, उंकर नाम योजना ले हटाना संकीर्ण राजनीति के पराकाष्ठा हे।"
डेरेक ओ'ब्रायन (TMC नेता):
उमन कड़ा शब्द मा पोस्ट करीस:
"ये ओही मनखे मन हें जेमन गांधीजी के हत्यारे के पूजा करथें। आज ओमन इतिहास ले गांधीजी के नाम मिटाय के कोशिश करत हें। हम संसद ले सड़क तक एकर विरोध करबो।"
चर्चा अब काबर?
2014 ले 2024 तक सरकार ह मनेरगा ल 'कांग्रेस के विफलता के स्मारक' कहे रिहिस, फेर कोरोना काल मा जब ये योजना ह करोड़ों मनखे मन के जान बचाईस, त सरकार ल एकर ताकत समझ आईस। अब 2025 मा एकर नाम बदल के सरकार ये संदेश देना चाहत हे कि वो मन पुरानी कमियां ल दूर करके एक नवा अउ जादा पईसा वाला (High Budget) योजना लावत हें।
ये बहुत गहिर अउ चिंता के बात हे। अगर राज्य सरकार तीर बजट नइ होही अउ वो मन 125 दिन के काम नइ दे पाही, त ओकर का परभाव पड़ही, ओला विस्तार ले छत्तीसगढ़ी मा समझव:
बेरोजगारी भत्ता के 'फांस'
कानून के मुताबिक, अगर कोई मजदूर काम मांगथे अउ सरकार 15 दिन के भीतर काम नइ दे पाय, त ओला 'बेरोजगारी भत्ता' देना पड़थे।
- पेंच यहाँ हे: मनेरगा मा केंद्र सरकार मजदूरी के पूरा पईसा देवय, त राज्य सरकार मन ल काम दे मा कोनो डर नइ राहय। फेर अब 40% पईसा राज्य ल देना हे। अगर छत्तीसगढ़ सरकार तीर पईसा नइ रही, त वो मन न त काम दे पाही अउ न ही भत्ता।
डिमांड ल दबाय के डर (Artificial Suppression)
अर्थशास्त्री मन ल डर हे कि राज्य सरकार मन अपन बजट बचाए बर एक नवा तरीका निकाल सकथें:
- जब मजदूर काम मांगे बर जाही, त अधिकारी मन कंप्यूटर (पोर्टल) मा ओकर नाम दर्ज ही नइ करहीं।
- जब नाम दर्ज नइ होही, त 'कागजी रूप' मा अइसन दिखही कि कोनो काम मांगे ही नइ हे। एकर ले मजदूर काम बर भटकत रही अउ सरकार ऊपर भत्ता दे के जिम्मेदारी घलो नइ आही।
पलायन के बाढ़ (Increase in Migration)
मनेरगा के सबले बड़े ताकत रिहिस—'पलायन रोकना'।
- अगर बजट के सेती छत्तीसगढ़ मा 125 दिन काम नइ मिलिस, त हमर गांव के मजदूर भाई-बहिनी मन फेर ले जम्मू, गुजरात अउ हैदराबाद जाय बर मजबूर हो जहीं।
- एकर ले गांव के अर्थव्यवस्था चरमरा जाही अउ लइका मन के पढ़ाई-लिखाई घलो छूट जाही।
60:40 के आर्थिक बोझ
छत्तीसगढ़ मा लगभग 40 ले 50 लाख मजदूर मनेरगा ले जुड़े हें।
- अगर हर मजदूर ल 125 दिन काम दे जाय, त राज्य सरकार ल अरबों रुपिया के जरूरत पड़ही।
- अगर सरकार तीर पईसा नइ होही, त 'जी राम जी' योजना सिर्फ कागज मा रह जाही अउ धरातल मा काम बंद हो जाही।
सोशल मीडिया मा चर्चा (मजदूर मन के आवाज)
सोशल मीडिया मा छत्तीसगढ़ी मजदूर संगठन मन ह लिखना शुरू कर दे हें:
"नाम बदले ले पेट नइ भरय साहेब, हमर हक के 40% पईसा के गारंटी कउन देही? केंद्र ह अपन पल्ला झाड़ लीस, अब राज्य के खजाना खाली होही त हमर चूल्हा कइसन जलही?"
सार गोठ
2005 के कानून मा केंद्र सरकार ह 'गारंटी' दे रिहिस, फेर 2025 के 'जी राम जी' योजना ह जिम्मेदारी ल राज्य सरकार डाहर ढकेल दीस हे। अगर छत्तीसगढ़ सरकार ह अपन बजट मा एकर बर अलग ले बड़े प्रावधान नइ करही, त 125 दिन के सपना सिर्फ एक चुनावी वादा बन के रह जाही।
छत्तीसगढ़ के आर्थिक स्थिति अउ मजदूर मन के हक ल लेके विचार करे तो - 'जी राम जी' योजना (60:40 नियम) अउ पहले ले चलत 'महतारी वंदना' जइसन योजना मन के बीच छत्तीसगढ़ सरकार ऊपर कतका बोझ बढ़ही:
'जी राम जी' योजना के आर्थिक बोझ
छत्तीसगढ़ मा लगभग 30 ले 35 लाख ग्रामीण परिवार मनेरगा (अब जी राम जी) ऊपर निर्भर हें।
- पहले के नियम: केंद्र सरकार मजदूरी के 100% पईसा देवय। राज्य ल सिर्फ 'मटेरियल' (सड़क-नहर बनाने का सामान) मा 25% देना पड़य।
- नवा नियम (60:40): अब मजदूरी के 40% पईसा राज्य ल देना पड़ही।
- हिसाब: अगर छत्तीसगढ़ मा साल भर मा 10 करोड़ 'पर्सन डेज' (कार्य दिवस) काम होथे, अउ मजदूरी लगभग 250-260 रुपिया हे, त राज्य सरकार ऊपर हर साल 1,000 करोड़ ले 1,500 करोड़ रुपिया के अतिरिक्त बोझ सिर्फ मजदूरी बर पड़ही। 125 दिन काम दे ले ये बोझ अउ जादा बढ़ जाही।
महतारी वंदना योजना के दबाव
महतारी वंदना योजना मा सरकार लगभग 70 लाख महिला मन ल 1,000 रुपिया महीना देथे।
- एकर सालाना बजट लगभग 8,000 करोड़ रुपिया हे।
- ये पईसा पूरा राज्य के खजाना ले जाथे। जब सरकार तीर 'जी राम जी' योजना बर 40% पईसा मांगे जाही, त सरकार ल महतारी वंदना अउ रोजगार गारंटी के बीच बजट ल 'बैलेंस' करे मा बहुत तकलीफ होही।
किसान अउ धान के पईसा
किसान मन ल धान के बोनस अउ अंतर के राशि किश्त मा मिलत हे।
- सरकार ल हर साल धान खरीदी बर लगभग 25,000 करोड़ रुपिया के व्यवस्था करे बर पड़थे।
- अगर केंद्र ह मनेरगा मा हाथ खींच लीस, त राज्य सरकार बर धान के पईसा एकमुश्त देना अउ कठिन हो जाही।
नौकरी अउ बेरोजगारी
छत्तीसगढ़ मा सरकारी नौकरी के भर्ती अउ परीक्षा मन मा देरी ले युवा मन मा भारी गुस्सा हे।
- एक कोति सरकार तीर नवा 'भर्ती' करे बर पईसा के कमी हो सकथे, अउ दूसर कोति गाँव के मजदूर मन ल काम दे बर 40% बजट के बोझ। अइसन मा 'रोजगार' के पूरा ढांचा डगमगा सकथे।
छत्तीसगढ़ ऊपर कतका असर?
कुल मिला के देखा जाय त:
- कर्ज के बोझ: सरकार ल ये सब योजना मन ल चलाए बर बाजार ले अउ जादा कर्ज (Loan) लेना पड़ सकथे।
- विकास कार्य मा कटौती: जब पईसा मजदूरी अउ नगद योजना (महतारी वंदना) मा खर्च होही, त नवा स्कूल, अस्पताल अउ सड़क बनाए बर पईसा कम पड़ जाही।
- मजदूर मन के नुकसान: अगर सरकार तीर बजट नइ होही, त वो मन 125 दिन के काम दे मा आना-कानी करहीं, जेकर सीधा असर गरीब मन के पेट ऊपर पड़ही।

सबो पाठक ल जोहार..,
हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।