जउन साहित्यकार ह अपन कलम ले छत्तीसगढ़ अउ पूरा देश के मान दुनिया भर म बढ़ाइस, आज उही विनोद कुमार शुक्ल जी रायपुर के एम्स अस्पताल म व्यवस्था के कमी ले जूझत हें। पेन नॉबकोव, ज्ञानपीठ अउ साहित्य अकादमी जइसन बड़े सम्मान ले नवाजे गये शुक्ल जी अभी वेंटिलेटर म हें, पर ओकर सेवा-सुध लेवइया उहां कोनो नई ये।
नर्सिंग सुविधा के भारी अभाव: बेटा ह जागे हे कतको रात ले
साहित्यकार के भतीजा कुणाल शुक्ला ह सोसल मीडिया म अपन दरद बांटत बताइस कि अस्पताल के हालत अतेक खराब हे कि उहां के नर्सिंग स्टाफ मन अपन काम ला ईमानदारी ले नई करत हें। शुक्ल जी वेंटिलेटर म हें, फेर ओकर चादर बदले ले लेके डायपर बदले तक के काम ओकर बेटा शाश्वत ला करे बर पड़त हे।
कुणाल ह किहिस—
"हॉस्पिटल के गार्ड ह शाश्वत ला नर्सिंग काम बर बुलाथे। शाश्वत पिछले कतको दिन ले बिना सोए, बिना खाये-पिए अपन ददा के सेवा म लगे हे। का अतेक बड़े अस्पताल म अउ सरकारी तंत्र म एती संवेदनशीलता घलो नई बांचे हे?"
सरकार अउ प्रशासन ऊपर उठिस सवाल
खबर ये घलो हे कि प्रधानमंत्री ह खुद विनोद कुमार शुक्ल जी के कुशलक्षेम पूछे रिहिन, ओकर बाद घलो एम्स प्रशासन के ये ढर्रा समझ ले परे हे। कुणाल शुक्ला के कहना हे कि यदि सरकार चाहती त शुक्ल जी ला दिल्ली के कोनो बड़े अस्पताल म सिफ्ट करके अउ बेहतर इलाज करवा सकत रिहिस।
परिजनों के तीखा सवाल:
का एक साहित्यकार के जिनगी अतेक सस्ती हे कि ओकर बर कोनो ब्यवस्था नई ये?
का सरकार मन उही मन बर सक्रिय होथें जेकर ले ओ मन ला कोनो राजनीतिक या आर्थिक फायदा मिलथे?
आखिर सरकारी स्वास्थ्य तंत्र म अतेक "सड़न" कहाँ ले आइस कि एक बीमार बुजुर्ग अउ नामी साहित्यकार ला घलो सुविधा नई मिल पावत हे?
साहित्य जगत म भारी रोष
विनोद कुमार शुक्ल जी छत्तीसगढ़ के आन-बान अउ सान हें। अइसन स्थिति म एम्स रायपुर के ये लापरवाही देख के प्रदेश के साहित्यकार अउ आम जनता म भारी गुस्सा हे। सबो मन मांग करत हें कि शुक्ल जी ला तुरंते बेहतर नर्सिंग सुविधा अउ उच्च स्तरीय इलाज मिलना चाहिये।

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