आंगनबाड़ी बहिनी मन के हुंकार: अब काम बंद, अधिकार सुरू!

अंजोर
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आंगनबाड़ी बहिनी मन के हुंकार: अब काम बंद, अधिकार सुरू!
फाइल फोटो


छत्तीसगढ़ के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अउ सहायिका मन के हालत आज 'करे कोई अउ भरे कोई' कस होगे हे, जिहां सासन के हर छोटे-बड़े योजना के बोझ ए बहिनी मन के ऊपर लाद दे जाथे। लइका मन के पोषण, जच्चा-बच्चा के देखरेख अउ प्राथमिक शिक्षा के ओमन के मूल काम ला छोड़ के, अब ओमन ला दिन-रात महतारी वंदन योजना के फार्म भरे, BLO ड्यूटी करे अउ मोबाइल में दुनिया भर के ऑनलाइन डाटा एंट्री करे बर मजबूर करे जावत हे।

विडंबना ये हे कि एतका काम करे के बाद घलो ओमन ला 'शासकीय कर्मचारी' नइ माने जाय, बल्कि सिरिफ थोक कुन मानदेय में बंधवा मजदूर कस खटाए जाथे। हद त तब हो जाथे जब सरकारी या राजनीतिक रैलियों में भीड़ बढ़ाए बर ओमन ला 'साधन' कस बुलाए जाथे, जेकर ले ओमन के घर-परिवार के संतुलन घलो बिगड़गे हे।

एकर संग ही, जमीनी स्तर में संसाधन के भारी कमी हे; जर्जर भवन, पीए के पानी के समस्या अउ मोबाइल रिचार्ज तक के पइसा ओमन ला अपन जेब ले भरे बर पड़थे। रिटायरमेंट के बाद कोनो पेंशन या सुरक्षा के व्यवस्था नइ होय के कारण ओमन के भविष्य अंधियारी में दिखत हे। 

ए सब पीरा अउ सासन के उपेक्षा ले अब प्रदेश भर के कार्यकर्ता मन में भारी आक्रोश हे। अंदरुनी खबर ये हे कि अब पानी मूड़ ले ऊपर बह चुके हे अउ प्रदेश के कोना-कोना में 'आर-पार' के लड़ाई बर गुपचुप बइठक मन सुरू होगे हे। कार्यकर्ता मन अब एकजुट होके अपन हक अउ सम्मान बर बड़े आंदोलन के शंखनाद करे के तइयारी में हें, ताकि सासन ला ओमन के ताकत के अहसास कराए जा सके अउ 'सबके काम' करइया ए हाथ मन ला ओमन के जायज हक मिल सके।

अब नइ सहिबो अन्याय!

अब नइ सहिबो अन्याय! काम के बोझ ले मरे ले अच्छा हे, अधिकार बर लड़े जाय

रायपुर। छत्तीसगढ़ के लाखों आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अउ सहायिका बहिनी मन बर आज अइसे बेरा आ गे हे, जिहां ओमन ला एक ठन फैसला करना ही पड़ही- काय हमन अइसने काम के बोझ ले दबके, अपन सेहत अउ परिवार ला बरवाद करके मरबो? या फिर एक मुठ्ठी होके अपन अधिकार बर सरकार ले लरबो?

काम के बोझ ह लेवत हे जान

आज के समय में आंगनबाड़ी के काम सिरिफ लइका मन ला खिलाए-पढ़ाए तक सीमित नइ हे। सासन ह हमन ला मोबाइल थमा के 'मजदूर' बना दे हे। दिन-भर ऑनलाइन इंट्री, घर-घर जाके सर्वे, महतारी वंदन के फॉर्म, बीएलओ ड्यूटी अउ फेर रैलियों में भीड़ बढ़ाए के जिम्मा। ए जम्मो काम के बीच हमर खुद के घर-परिवार अउ लइका मन के भविष्य अंधियारी में हे। हमन मनखे आयन, कोनो सासन के मशीन नोहन कि जतका मन लागही ओतका बटन दबा के काम ले लेबे।

खामोशी ह सोसन ला बढ़ावा देथे

जब तक हमन चुप रहिबो, सासन हमर ऊपर नवा-नवा काम के बोझ लादत रहिही। "काम के बोझ ले मरे ले अच्छा हे कि हमन विरोध के रस्ता चुनन।" जदि आज हमन आवाज नइ उठायन, त आने वाला पीढ़ी घलो हमन ला देख के डराही। हमन ला शासकीय कर्मचारी के दर्जा अउ सम्मानजनक वेतन चइय्ये, न कि सिरिफ नाम के मानदेय।

विरोध ह 'विद्रोह' नो हे, 'अधिकार' आय

सासन ला ये बताना जरूरी हे कि जदि आंगनबाड़ी के हाथ मन ह योजना ला सफल बना सकथें, त ओही हाथ मन ह कलम अउ काम रोक के सरकार ला झुकवा घलो सकथें।

एकजुट होव: जब तक एक-एक कार्यकर्ता अलग रहिही, सासन ह हम ला डराही। फेर जब लाखों बहिनी मन एक साथ सड़क में उतरही, त कोनो अधिकारी के हिम्मत नइ होही कि हम ला नोटिस दे सके।

काम के बहिष्कार: जदि सासन हमर मांग नइ सुनय, त हमन ला 'अतिरिक्त काम' (ऑनलाइन अउ सर्वे) के पूरा बहिष्कार करना चाही।

अपन ताकत ला पहिचानव: छत्तीसगढ़ के हर गांव, हर पारा में आंगनबाड़ी हे। हमर पहुंच हर घर तक हे। हमर ले बड़े संगठन कोनो के नइ हे।

अंतिम हुंकार

बहिनी हो, डरो झन! डर ह कायर मन के काम आय। हमन त महतारी अउ लइका मन के रक्षक अन। अब समय आ गे हे कि हमन अपन खुद के रक्षक बनन। उठो, जागो अउ अन्याय के खिलाफ अइसे दीवार बनके खड़ा हो जाव कि सासन के हर जुरम ओकर ले टकरा के चूर-चूर हो जाय।

"अन्याय सहना घलो पाप आय, अब जागव बहिनी मन, अपन हक बर हुंकार भरव!"

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