छन्दविद श्री अरुण कुमार निगम जी द्वारा लिखित "ग़ज़ल के ग़ " छत्तीसगढ़ी म ग़ज़ल के पूरा जानकारी देवइया पहला किताब आय। ये मार्गदर्शिका तीन खण्ड मा विभाजित हवय। पहला खण्ड मा ग़ज़ल विधा के पूरा जानकारी हवय। दूसरा खण्ड मा निगम जी द्वारा 32 बहर मा कहे ग़ज़ल अउ तीसर खण्ड मा गजल के ग-ऑनलाइन गुरुकुल मा सीखे अन्य ग़ज़लकार के विधान सम्मत ग़ज़ल दे हवय। येकर पहिली निगम जी 2015 म 'छन्द के छ' नाम से 50 किसम के छन्द के जानकारी देवइया किताब के प्रकाशन करवाय रहिन हे जेकर ले छत्तीसगढ़ी भाखा में छन्द लेखन मा क्रांति के सूत्रपात होइस हे।
हमर देश मा ग़ज़ल उर्दू अउ हिन्दी के बाद अब छत्तीसगढ़ी मा भी लिखे जात हे। ग़ज़ल बहर उपर आधारित होथे। दू-दू लाइन के ग़ज़लनुमा रचना लिखइया मन बर ये किताब बनेच काम आही। जइसे छन्द लिखे के अपन नियम हवय वइसने ग़ज़ल लिखे के भी नियम होथे। ग़ज़ल बहर में लिखे जाथे। खाली रदीफ़ अउ क़ाफ़िया मिला के दू-दू लाइन के 4-5 शेर ला गज़ल नइ कहे जाय। अइसन ग़ज़ल लिखइया मन भ्रम मा हवय कि उन ग़ज़ल लिखत हें। नवा ग़ज़लकार मन ग़ज़ल लिखे के पहिली ये किताब ल जरुर पढ़ लँय।
ये किताब के खण्ड-1 मा 'ग़ज़ल विधा' के पूरा जानकारी हवय। ग़ज़ल ले जुड़े पारिभाषिक शब्द, मात्रा गणना, मात्रा पतन के छूट अउ संक्षिप्त विधान दे गे हवय। ग़ज़ल के परिभाषिक शब्द जइसे- मिसरा, शेर, अशआर, मिसरा-ए-उला, मिसरा-ए -सानी, क़ाफ़िया, रदीफ़, लाम, गाफ, मतला, मक्ता, तख़ल्लुस ला विस्तार ले बताय गे हवय। गैर मुरद्दफ़ ग़ज़ल, मुरद्दफ़ ग़ज़ल, मुसल्सल ग़ज़ल, गैर मुसल्सल ग़ज़ल काला कहिथे येला भी खुल के बताय गे हवय।
बहर /बह्र, रुक्न, रुक्न के नाम जइसे - फ़ईलुन, फ़ाईलुन, मुफ़ाईलुन, फ़ाइलातुन,
मुस्तफ़इलुन, मुतफ़ाइलुन, मफ़ाइलतुन ला समझाय गे हवय। अरकान, ग़ज़ल के मात्रा गणना के नियम, मात्रा गिराए के छूट (नियम), अपवाद, अलिफ़ वस्ल के नियम,रुक्न के छूट, इजाफ़ात के नियम सबला बताय गे हवय। दोषमुक्त ग़ज़ल कहे बर कुछ खास बात के ध्यान देना जरूरी होथे ओकर उल्लेख भी निगम जी करे हवय।
निगम जी के द्वारा कहे अधिकांश ग़ज़ल म ये भी बताय गे हवय कि ये बहर म कोन-कोन से फ़िल्म के गीत (जो कि वास्तविक म ग़ज़ल आय ) लिखे गे हवय। उदाहरण-
बहर - फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212 212
जान लेबे अदौरी बरी के मजा।
भूल जाबे चिकन के करी के मजा।
ये बहर म फ़िल्मी ग़ज़ल- छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए।
पुस्तक के कव्हर पेज शीर्षक के अनुरूप अउ छपाई आकर्षक हवय। छत्तीसगढ़ी में ग़ज़ल लिखे के रुचि रखइया मन बर ये किताब बनेच उपयोगी हवय। विश्वविद्यालयीन पाठ्यक्रम मा ये मार्गदर्शिका ला जरूर शामिल करना चाही। ये मार्गदर्शिका के प्रकाशन खातिर निगम जी ला अंतस ले बधाई।
- कृति - ग़ज़ल के ग़
- लेखक - अरुण कुमार निगम
- प्रकाशक- वैभव प्रकाशन रायपुर
- मूल्य - 200/-
- पुस्तक चर्चा - अजय अमृतांशु
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