कुकुरदेव मंदिर खपरी बालोद

अंजोर
0
कुकुरदेव मंदिर खपरी बालोद Kukurdev Madir Balod

छत्तीसगढ़ ह धरम धाम के भुइंया आए। इहां के कन-कन म देवालय हाबे, कोनो मानता रूपी म कोनो मंदिर म बिराजे हाबे। देबी-देवता मन कहूंचो मूर्त रूप म हावय त कहूंचो अमूर्त। सबो देबी-देवता के मान-गउन अपन पुरखा सियान मनके बताये रीति-रिवाज के मुताबिक होथे, इही छत्तीसगढ़ के चिन्हारी आए। अइसने मूर्त रूप म बिराजे कुकुरदेव के मंदिर के बारे म सुनेच होहा जेन छत्तीसगढ़ के बालोद जिला के खपरी गांव म हावय।

संगी हो नाव ल सुनके तो अजम कर डारे होहू के काकर मंदिर होही। कुकुरदेव मंदिर नाम के संग ओकर ले जुड़े लोक म प्रचलिक किस्सा के थांव लेबो तो जान के बड़ गरब होथे। आवा चलिन खपरी गांव जिहां के कुकुरदेव मंदिर के बारे म मंदिर के महिमा जानबो।

कुकुरदेव मंदिर Kukurdev Madir - छत्तीसगढ़ के बालोद जिला के ग्राम खपरी म छत्तीसगढ़ शासन डहर ले संरक्षित कुकुरदेव मंदिर के निर्माण काल के बारे में बताये जाथे के 200 साल जुन्ना आए। मंदिर ल पथरा-पथरा म तरासे गे हावय। लाल पथरा म कहू-कहू नक्काशी के सुंदर नमुना तको देखे बर मिलथे। भीतरी म छोटकन गर्भगृह तको हाबे। जिहां महादेव बिराजे हावय।

कुकुरदेव मंदिर Kukurdev Madir के संबंध म प्रचलित किस्सा- बालोद अंचल म एक बंजारा के निवास करत रिहिस। ओकर तिर एक ठी पोसवा कुकुर रिहिस। ओ बंजारा ह उहां के राजा तिर कुछ रूपिया उधार ले रिहिस। बेरा पोहावत गिस, फेर बंजारा ह राजा के करजा ल नइ चुका सकिस। आखिर म बंजारा ह अपन पोसवा कुकुर ल राजा ल भेट कर दिस।

कुकुर ह बंजारा ले गजब मया करय ये सेती रोज भाग के आ जावय। बंजारा फेर अमरावय, कुकुर फेर आ जावय। बंजारा ह अपन कुकुर ले हलाकान होगे अउ आखरी पइत चेतावत किहिन- 'मैं तोर ले गजब मया करथंव तोर बिना नइ रेहे सकवं। फेर राजा के मोर उपर करजा हावय ये सेती तोला राजा ल भेट करे हंव। अउ अब कहू दूबारा लहुंट के तै आबे त तोला जान से मार देहूं।' अइसे चेताये के बाद कुकुर ल बंजारा ह राजा ल सउप के आगे।

उही रात राजा के महल म चोरी होगे। चोर मन राजमहल ले कीमती खजाना ल लूटके लेगे। जब कुकुर गम पइस तो चुपे-चुप चोर मन के पीछू-पीछू जाके पासत रिहिस। बिहनिया होइस त कुकुर ह राजा ल खजाना के ठउर तक लेकिन जिहा चोर मन जमीन म गड़िया के राखे रिहिस। कुकुर ह खजाना के पता बताये के संग ही चोर मनके तको चिन्हारी करिस। खजाना मिलगे, चोर मन पकड़ागे। राजा ह कुकुर के काम ले बहुत खुश होगे। 

कुकुर के इमानदारी ले खुश होके राजा ह ओला आजाद करत किहिन- ' मैं तोर काम ले खुश हावं,  तै जा बेटा अब अपन मालिक करा। मैं तोला आजाद करत हवं।' राजा के आज्ञा पाके कुकुर बंजारा तिर लहुट आथे। कुकुर ल फेर अपन तिर पाके बंजारा के जीव म आगी बर जथे। उठाथे दू हत्था लउठी अउ कुकुर के मुड़ म कचार देथे। कुकुर के उही मेर परान छूट जथे। कुकुर के मरे के बाद लोगन मनले आरो मिलिस के राजा ह महल म चोरी के घटना ले खुश होके आजाद करे रिहिस। 

बंजारा ल चोरी वाले घटना के थोरको गम नइ रिहिस। बपरा पछतावत रहिगे। ये बात के पता जब राजा ल चलिस त वहू कुकुर के अंतिम दर्शन करे खातिर पहुंचिस अउ पूरा राजकीय सम्मान के संग ओकर अंतिम संस्कार करिस। उही ठउर म ओकर मठ बनाइस अउ ओकर सुरता एक ठी मंदिर तको बनवाइस जेन 'कुकुरदेव' मंदिर के नाम ले जाने गिस। 

कुकुरदेव मंदिर Kukurdev Madir  पहुंच मार्ग- कुकुरदेव के मंदिर सड़क मार्ग ले आसानी से पहुंचे जा सकत हाबे। ये मंदिर ह जिला मुख्यालय बालोद ले 10 किलो मीटर के दुरी म बालोद-राजनांदगाव रोड़ म परथे। रेल मार्ग ले उहां तक पहुंच नइये, पास के आन जिला म आके उहां पहुंचे जा सकत हाबे। इही रकम ले वायुमार्ग ले पहुंचइया मन रायपुर राजधानी ले बालोद सड़क मार्ग ले आसानी ले पहुंच सकत हाबे।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

सबो पाठक ल जोहार..,
हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !