वीर नारायन तोर सपना ह सुफल कहाँ फेर होवत हे
बस्ती-बस्ती गांव-गांव ह भूख म आजो रोवत हे
बाना बोहे तोर सपना के मरगें फेर कतकों बलिदानी
नांव लिखा के इतिहास म होगें सब अमर कहानी
सुंदर प्यारे खूबचंद कस बेटा जनमिन ए माटी म
भुखहा-दुखहा बर तोरे सहीं रेंगिन सत् के परिपाटी म
आज के लइका आंखी मूंदे नीत-अनीत फेर झेलत हें
झींके छोड़ के शोषक मनला आगू डहर अउ पेलत हें
फेर ढीलाय हे जंगल म बरगे कतकों सोनाखान
का होही ए देश ल सोच के रोवत होही फेर भगवान
आज कहूं तैं इहां होते बंदूक-भाला फेर उठाते
माखन बनिया के गोदाम कस कतकों ल फेर बंटवाते
आथे सुरता जब-जब तोर आंखी ले आंसू झरथे
फेर बोहे बर तोर बाना ल भुजा तो मोर फरकथे
का होही अब काल के चिंता काकर बर हम करबो
तोरेच देखाए रस्ता म जिनगी भर अब रेंगबो
रोटी खातिर फेर फांसी के डोरी चूमे बर परही
तभे तो घपटे अंधियारी के छाती ल सुरूज चिरही
-सुशील भोले-
9826992911


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