अंजोर.रायपुर 03, जनवरी। इंद्राणी, उर्मिला, सुनीता अउ सातोबाई के जिनगी अब बदल चुके हावय। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) अउ ‘बिहान’ (छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन) ह उंकर जीवन बदले म बड़का भूमिका निभाये हावय। मनरेगा अउ 14वें वित्त आयोग के अभिसरण ले बने वर्क-शेड म स्वसहायता समूह के ये महिला मन ‘बिहान कैंटीन’ संचालित करके रोज लगभग एक हजार ले 1200 रूपिया के कमाई करत हावयं।
मनरेगा अउ बिहान बनिस कमाई के जरिया
ये चारों महिला मन कबीरधाम जिला के बोड़ला विकासखंड के राजानवागांव के भारत महतारी स्वसहायता समूह के सदस्य हावयं। ये महिला मन ह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के ले गठित गांव संगठन ले 30 हजार रूपिया के कर्ज लेके कैंटीन शुरू करिन। इंकर हुनर अउ इंकर बनाए नाश्ता के स्वाद ले कैंटीन म भीड़ जुटे लगे हावय। प्रसिद्ध पर्यटन अउ धार्मिक जगह भोरमदेव पहुंचे वाला पर्यटक, कैंटीन के पास भोरमदेव आजीविका केन्द्र म काम करइया अउ नजदीकी धान खरीदी केन्द्र म आने वाला किसान मन के भीड़ उहां लगे रहिथे। येकर ले येकर आमदनी बढ़त हावय।
‘बिहान कैंटीन’ करइया भारत महतारी स्वसहायता समूह के सचिव श्रीमती उर्मिला ध्रुर्वे के बताती के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत उंकर समूह के गठन होइस हावय। समूह ह कैंटीन चलाये के खातिर बर्तन अउ राशन खरीदे बर गांव संगठन ले 30 हजार रूपिया के करजा लिस हावय। समूह के चार महिला मन ए कैंटीन के संचालन करत हावयं। उर्मिला आगू बताइन के समूह के कोशिश हावय के कैंटीन म आने वाला सबोच मनखे ल गरमा-गरम चाय-नाश्ता परोसे जाए। दिनभर के मेहनत के बाद चारों सदस्य मन के 300-300 रूपिया के आमदनी हो जात हावय।
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