छत्तीसगढ़ी लेखन म शब्द अउ विषय के चयन : सुशील भोले

अंजोर
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वइसे तो छत्तीसगढ़ी ल शिक्षा संग राजकाज अउ रोजगार के भाखा बनाए के माँग गजब दिन के चलत हे, फेर जब ले छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के गठन इहाँ होए हे, तब ले ए माँग ह बनेच जोर धरे हे. फेर मोर मन म कभू इहू बात उठथे, के का छत्तीसगढ़ी म आज हमर जगा अतका साहित्य या लेखक हे, जेन ए जम्मो क्षेत्र के माँग अउ आवश्यकता ल वोकर गरिमा के अनुरूप पूरा कर सकथे?

अभी देखे ए जाथे के सिरिफ कविता, कहानी, कुछ लेख अउ व्यंग्य आदि मनला ही छत्तीसगढ़ी के पूरा के पूरा साहित्य मान लिए जाथे. त का अतकेच भर म समाज अउ शासन के हर वर्ग अउ क्षेत्र के आवश्यकता ल पूरा करे जा सकथे?

मोला सुरता हे, रायपुर म एक प्रतिष्ठित दैनिक अखबार के संपादक संग हमर मनके चर्चा होए रिहिसे, तब उन कहे रिहिन हें, के उन रोज एक पेज छत्तीसगढ़ी म छापे बर तैयार हें, फेर शर्त ए हे के एकर बर वो सबो विषय के भरपूर मटेरियल आना चाही, जेकर ले एक दैनिक अखबार के जम्मो वर्ग के पाठक मनला पढ़ाए अउ संतुष्ट करे जा सकय. 

एक अखबार ह एक सामान्य रिक्शा चलाने वाला ल लेके बड़े-बड़े अधिकारी, कर्मचारी, डॉक्टर, वकील, व्यापारी, अर्थशास्त्री, इंजीनियर, वैज्ञानिक, युवा, महिला अउ लइका मन के संगे-संग राजनेता मनला घलो अपन डहार आकर्षित करे खातिर उंकर पसंद के अनुरूप सामग्री छापथे. हमन ल अइसन जम्मो विषय म रोज भरपूर अउ एक प्रतिष्ठित अखबार के गरिमा के अनुरूप सामग्री, जेमा संबंधित विषय मन म लेख अउ समाचार उपलब्ध कराए बर कहिस. हमन बहुत झन साहित्यकार मन संग चर्चा करेन अउ ए सब तमाम विषय म लिखे बर कहेन, फेर वोकर बर अपेक्षा के अनुरूप न सामग्री मिलिस न लोगन.

एक अउ बार हमन छत्तीसगढ़ी म राजनीतिक मासिक पत्रिका निकाले के उदिम करेन. मात्र एक-दू अंक ही निकाल पाएन, तहाँ ले भइगे. एकरो असली कारण उही रिहिसे. पत्रिका के मांग अउ गरिमा के अनुरूप भरपूर सामग्री के नइ मिल पाना. कतकों साहित्यकार मनला जोजियावन फेर नतीजा शून्य. 

अब आप बतावव, सिरिफ सरकार ऊपर लाठी धर के भीड़े भर म ए सब आवश्यकता ह पूरा हो सकथे का? का हमन ल इहू डहार चेत करे के अउ म अपन लेखन के रद्दा ल वो सब दिशा अउ विषय डहार लेगे के जरूरत नइए? सिरिफ कविता-कहानी भर म अरझे रहिबो, त फेर समाज के हर वर्ग के लोगन के साहित्यिक आवश्यकता ल कइसे पूरा कर सकबो?

अइसन तमाम विषय मन म भरपूर लेखन के संगे-संग हमन ल भाखा के एकरूपता डहार घलो चेत करे बर लागही. एक नान्हे शब्द हे- 'अउ' एला लोगन कतका किसम ले लिखथे देखव- कोनो 'अउ' कोनो 'अऊ' त कोनो 'आउ', 'आऊ', 'अव', 'अउर', 'औ', 'आव'. अइसने कतकों शब्द हे जे मन ल जम्मो लेखक मन ल एक किसम ले लिखे के जरूरत हे. हमन ल शासन ऊपर छत्तीसगढ़ी ल शिक्षा, राजकाज अउ रोजगार के भाखा बनाए के दबाव तो बनाएच बर लागही, संगे-संग तमाम विषय अउ क्षेत्र के लोगन मन के साहित्यिक आवश्यकता ल घलो पूरा करे बर लागही तभे छत्तीसगढ़ी ह चारों मुड़ा सर्वमान्य भाखा के रूप म स्थापित हो पाही, सम्मान पा सकही.

-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811

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