वइसे तो छत्तीसगढ़ी ल शिक्षा संग राजकाज अउ रोजगार के भाखा बनाए के माँग गजब दिन के चलत हे, फेर जब ले छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के गठन इहाँ होए हे, तब ले ए माँग ह बनेच जोर धरे हे. फेर मोर मन म कभू इहू बात उठथे, के का छत्तीसगढ़ी म आज हमर जगा अतका साहित्य या लेखक हे, जेन ए जम्मो क्षेत्र के माँग अउ आवश्यकता ल वोकर गरिमा के अनुरूप पूरा कर सकथे?
मोला सुरता हे, रायपुर म एक प्रतिष्ठित दैनिक अखबार के संपादक संग हमर मनके चर्चा होए रिहिसे, तब उन कहे रिहिन हें, के उन रोज एक पेज छत्तीसगढ़ी म छापे बर तैयार हें, फेर शर्त ए हे के एकर बर वो सबो विषय के भरपूर मटेरियल आना चाही, जेकर ले एक दैनिक अखबार के जम्मो वर्ग के पाठक मनला पढ़ाए अउ संतुष्ट करे जा सकय.
एक अउ बार हमन छत्तीसगढ़ी म राजनीतिक मासिक पत्रिका निकाले के उदिम करेन. मात्र एक-दू अंक ही निकाल पाएन, तहाँ ले भइगे. एकरो असली कारण उही रिहिसे. पत्रिका के मांग अउ गरिमा के अनुरूप भरपूर सामग्री के नइ मिल पाना. कतकों साहित्यकार मनला जोजियावन फेर नतीजा शून्य.
अइसन तमाम विषय मन म भरपूर लेखन के संगे-संग हमन ल भाखा के एकरूपता डहार घलो चेत करे बर लागही. एक नान्हे शब्द हे- 'अउ' एला लोगन कतका किसम ले लिखथे देखव- कोनो 'अउ' कोनो 'अऊ' त कोनो 'आउ', 'आऊ', 'अव', 'अउर', 'औ', 'आव'. अइसने कतकों शब्द हे जे मन ल जम्मो लेखक मन ल एक किसम ले लिखे के जरूरत हे. हमन ल शासन ऊपर छत्तीसगढ़ी ल शिक्षा, राजकाज अउ रोजगार के भाखा बनाए के दबाव तो बनाएच बर लागही, संगे-संग तमाम विषय अउ क्षेत्र के लोगन मन के साहित्यिक आवश्यकता ल घलो पूरा करे बर लागही तभे छत्तीसगढ़ी ह चारों मुड़ा सर्वमान्य भाखा के रूप म स्थापित हो पाही, सम्मान पा सकही.
सबो पाठक ल जोहार..,
हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।