राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव : दूसर दिन उत्तराखंड के झींझीहन्ना लोकनृत्य के मनमोहक प्रस्तुति

अंजोर
0

अंजोर.रायपुर, 29 अक्टूबर। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव म दूसर दिन बिहनिया 9 बजें ले पारम्परिक त्यौहार, अनुष्ठान, फसल कटाई अउ आन पारम्परिक विधा म आधारित लोकनृत्य प्रतियोगिता होइस। ए श्रेणी के प्रतियोगिता के शुरुआत उत्तराखंड के झींझीहन्ना लोक नृत्य के संग होइस। ये पारंपरिक नृत्य थारू समुदाय के लोगन डहर ले करे जाथे। नवा फसल आ जाये के उपलक्ष्य म क्वांर-भादो के महीना म गांव के सबोच घर-घर जाके महिला मन डहर ले ये नृत्य करे जात हावय। झींझी नृत्य म घड सिर म रख करके सबोच घर ले आटे अउ चाउंर के दान लेवत अउ सबो घर म झींझी खेले के बाद वो आटा अउ चाउंर ल इकट्ठा करके झींझी ल एक दैवीय रूप मानके ओला सबो महिला विसर्जन करे के खातिर नदी म जाथे अउ ओला विसर्जन करके वो आटा अउ चाउंर के पकवान बना करके सबो लोगन खाथे। 

उही रकम ले हन्ना नृत्य भी थारू समाज के पुरुष मन डहर ले करे जाथे जेमा पुरुष वर्ग सबोच घर जाके आटा अउ चाउंर के दान लेथे। ए तिहार ल भी क्वांर-भादों म एक मनखे हन्ना बनके गीत के माध्यम मुताबिक नृत्य करथे। हन्ना के संबंध देखे जाथे त मारिच ले हावय। उत्तराखंड टीम डहर ले दुनों ल मिलेके सामूहिक प्रस्तुति दे गिस। उही रकम ले छत्तीसगढ़ राज्य के प्रतिभागी मन डहर ले करमा नृत्य के प्रस्तुति दे गिस।  

करमा नृत्य - जानबा होवय के करमा नृत्य भादों महीना म एकादशी तिथि के दिन राजा करम सेन के सुरता म कर्मा नाच के माध्यम ले कलमी (करम डाल के पेड़) के पूजा करके आंगन म वो डाली ल स्थापित करत अउ ओमा प्राकृतिक देवता होए पूजा अर्चना करत रात भर करमा नाच करत अप्रत्यक्ष रूप म देवी-देवता के नृत्य के माध्यम ले प्रस्तुति करथे। ए नृत्य के माध्यम ले पर्यावरण ल बचाये रखे के संदेश देत हावय, ताकि हमर पर्यावरण यथावत बने रहय। नृत्य के माध्यम ले नृत्य दल भावभंगिमा, वेशभूषा, नृत्य के कला के प्रदर्शित करत गजब मनोरम, रमणीय प्रस्तुति देत हावय। ए श्रेणी म तेलांगाना डहर ले गुसाड़ी डिम्सा, झारखंड डहर ले उरांव, राजस्थान गैर घुमरा, जम्मू कश्मीर डहर ले धमाली अउ छत्तीसगढ़ डहर ले गौर सिंग नृत्य के प्रस्तुति करे गिस।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

सबो पाठक ल जोहार..,
हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !