जेकर आंखी ले देश-दुनिया ह बस्तर ल देखिस, वो ‘हरिहर’ आज हरि चरनन म...

अंजोर
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बस्तर के लोक जीवन ल जेन जानथे वो हरिहर वैष्णव जी ल तको जानथे। अऊ जेन नइ जान सकिस वो, बस्तर ल जाने खातिर हरिहर जी ल पढ़थे। मैं दूसर पंक्ती के मनखे आवं, ये सेती हरिहर जी ल पढ़के बस्तर के बोली-भाखा, रहन-सहन अउ जनजातिय साहित्य ल जाने के कोशिश म लगे रेहेवं।

उंकर एक चर्चित किताब ‘मोहभंग’ ल तो केऊ पइत पढ़े हवं। उंकर लिखे आखर जीव परे सहिक बोलथे।सिरतोन..., पढ़त बखत मैं हर बार हरिहर जी कहानी के पात्र मन संग सवांगे बस्तर अंचल ल देख आए हवं। अइसन जीवपार के लिखइया बड़का कलमकार वैष्णव जी ले प्रत्यक्ष भेट करे के मंशा रिहिस, जेन अब कभू पूरा नइ हो सकय, उंकर सरगवासी होए के आरो मिले हावय। अब तो भइगे वो पुरखा के किताब ल छाती ले लगाके उंकर संउहत रेहे अहसास म दिन पोहाही। दंतेसिरी माई उंकर सुरता ल उम्मर राखय अउ परिवार ल दुख सहे के बल देवय। पुरखा ल सादर नमन।

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