196 भारतीय भाषा हावयं जेन ए समय खतरा म हावय
अंजोर.नई दिल्ली, 3 जून 2021। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ह कुछ भाषा के गंभीर स्थिति म प्रकाश डालत किहिन के हमर भाषा के संरक्षण हमर सांस्कृतिक परंपरा के रक्षा के खातिर जरूरी हावय। उपराष्ट्रपति ह किहिन के भाषा कोनो भी संस्कृति के जीवन रेखा आए। ओमन किहिन के जहां भाषा संस्कृति ल मजबूत करत हावय, उहें संस्कृति समाज ल मजबूत बनात हावय।
विश्व म हर दू सप्ताह म एक भाषा के विलुप्त म संयुक्त राष्ट्र के एक रिपोर्ट के हवाला देत होए श्री नायडू ह चिंता व्यक्त करिस के 196 भारतीय भाषा हावयं जेन ए समय खतरा म हावयं। उपराष्ट्रपति ह ए स्थित ल पलटे के खातिर ठोस कार्रवाई करे के आह्वान करिन अउ आशा व्यक्त करिस के सबो भारतीय अपन भाषा ल संरक्षित रखे के खातिर एकजुट होवे। उपराष्ट्रपति सिंगापुर म एक सांस्कृतिक संगठन श्री समस्क्रुतिका कलासरधि डहर ले आयोजित 'अंतरजातीय समस्क्रुतिका सम्मेलन-2021' के पहिली वर्षगांठ समारोह के वर्चुअल रूप म संबोधित करत रिहिस।
उपराष्ट्रपति ह प्रवासी भारतीय मनके सांस्कृतिक राजदूत बतात भारतीय कीमत अउ रीति-रिवाज ल जीवित रखे के खातिर उंकर सराहना करिस अउ किहिन के भारत के हमर प्राचीन कीमत के प्रसार म उंकर भूमिका म गर्व हावय। श्री नायडू ह हमर भाषा ल संरक्षित रखे के जरूरत ल रेखांकित करत दोहराइन के प्राथमिक अउ माध्यमिक शिक्षा स्तर तक शिक्षा के माध्यम मातृभाषा होना चाही। ओमन तकनीकी शिक्षा म मातृभाषा के उपयोग ल धीरे-धीरे बढ़ाये के सलाह दीस। ओमन किहिन के प्रशासन अउ न्यायपालिका के भाषा स्थानीय होना चाही ताकि लोगन के पहुंच जादा हो सके। ओमन सबो ल अपन मातृभाषा म गर्व करे अउ अपन परिवार के संग, अपन समुदाय म अउ आन मउका म वो भाषा म बोले के गेलौली करिन।
श्री नायडू ह किहिन के कोविड-19 ले लोगन म मानसिक तनाव बढ़े हावय अउ अध्यात्मवाद के शुरू करे ले उंकर तनाव ल दूरिहा करे जा सकत हावय। ओमन धार्मिक अउ आध्यात्मिक नेता मन डहर ले लोगन तक पहुंचे अउ ओला ए तनाव ल दूरिहा करे म मदद करे के अपील करिस।
भारत के केऊ भाषा अउ संस्कृति के घर बतात श्री नायडू ह जोर देके किहिन के विविधता म एकता उही हावय जेन हम सबो ल एक संग रखत हावय। ओमन किहिन के भाषा म विविधता एक महान सभ्यता के बुनियाद हावय अउ हमर सभ्यतागत कीमत ह अपन भाषा, संगीत, कला, खेल अउ त्योहार के माध्यम ले खुद के अभिव्यक्त करे हावय। ओमन किहिन के राजनीतिक सीमा बदल सकत हावयं, फेर हमर मातृभाषा अउ हमर जड़ नइ बदलेंगी। ओमन अपन मातृभाषा ल संरक्षित रखे म एकजुट प्रयास के आह्वान करिन।
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