ईश्वर लाल साहू 'आरुग' के कहानी : कोरोना के आगी

अंजोर
डॉ. वर्मा अभी घर मा पहुँच के हाथ मुँह धोते रहिस की बाहिर ले चिल्ला चिल्ला के झगरा करे के आवाज़ सुनके लकर-धकर घर ले निकल के देखे बर धर लिस। घर के बाहिर 80-90 झन मनखे सकलाय हे अउ चिल्ला चिल्ला के अपने अपन झगरा करत हे। डॉ वर्मा के अन्तस काँपगे अभी के समय मा पूरा भारत भर मा लॉक डाउन हे अउ ये कइसन मनखे हे जिनला अपन जिनगी ह सस्ता लागत हे। देश के प्रधानमंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, गाँव के पंच, सरपंच, कोतवाल अउ सरकारी कर्मचारी मन चिहुर पार-पार के चेतावत हे कि कोनो जघा जुरियाहू झन, कोरोना वायरस हा पूरा दुनिया म हाहाकार मताये हे।


येखर अभी तक कोनो दवा नइ बने हे। येखर ले बाँचे के सबले बढ़िया दवा हे अनजान मनखे के संगे संग आपस म घलो दुरिहा रही के बेवहार करना। कोन जनी ये मन कतका पन सुनिन ते ... मोला तो अइसन म अइसे लगत हे कि हमर देश हा ये कोरोना के लड़ाई ला अइसने मन के सेती हार जहि का ? फेर तुरते गुनथे की एक पइत समझा के देख लेथंव हो सकत हे, मोर समझाए म येमन समझ जावय। डॉ वर्मा सब झन ला समझाय बर धर लेथे भाई हो अभी झगरा करे के बेरा नोहय, अभी हमर देश, हमर राज अउ हमर गाँव ल कोरोना के महामारी ले बचाना हे अउ हमला खुदे बचना हे जिनगी रही ता कभू भी छोटे मोटे बात म लड़ सकत हन। ओखर बात ल सुन के एक झन सियान ह कहिथे सिरतोन काहत हस बेटा फेर ये बूजा मन ला कतको समझाबे समझे के नावे नइ लेवय...। 
डॉ वर्मा फेर दुनों हाथ ल जोड़ के कहिथे भाई हो जम्मो झन ले मोर बिनती हे कम से कम 2-2 हाथ के दुरिहा म राहव, आपस में दुरिहा रहना हे हमर राज के मुख्यमंत्री, देश के प्रधानमंत्री रोज हाथ जोड़ के गोहरावत हे की सामाजिक दूरी बना के राहव अउ समझदारी रखव। मैं खुद डॉक्टर हरव फेर मैं बता देथंव की अभी तक ये वायरस के इलाज नइ मिले हे धोखा से कोनो ल कहुँ ये वाइरस अपन चपेट म ले लिस त ये जान ले ये पूरा गाँव म पुलिस के बसेरा हो जही अभी थोर बहुत जेन घुमत घामत हव तेन चुमुक ले बन्द हो जाही...। 
अरे जा जा बड़ा आये हस भाषण झड़इया... 
तभे भीड़ ले आवाज़ आइस...। 
हहो... कतेक ला मनखे हा घरे म घुसरे रही ? एक झन अउ चिल्लाइस। 
जतका बाहिर ले आय हवय ना उही मन हा ये बीमारी ल बगरावत हवय...चल भाग तहूँ इहाँ ले...। ये तिसरइया मनखे भीड़ ले चिल्लाइस। 
मनखे के भीतर जब रोस भरे होथे त वोला अपन भल-अनभल समझ मा नइ आवय...बने गिनहा के चिन्हारी भुला जथे नही ते जेन डॉ ह छोटे-बड़े, ऊँच-नीच, अपन-पराया के भेद करे बिना अपन जान ल दाँव म लगाके खाली मानवता के सेवा करे खातिर कोरोना जइसे महामारी ल हराये म लगे हे वोखर बर अइसन बेवहार कोन मूरुख ह करतिस...। का करबे डॉ वर्मा के बोलती बन्द होगे। डॉ वर्मा इहु नइ पूछ सकिस की भाई अतका भीड़ काबर लगाय हव...? चुप एक कोनटा म खड़ा होके ... आँसू बोहावत राहय...। शाबाश....बहुत बढ़िया...एक नंबर...सुग्घर बूता... ये हमर गाँव के नवा पीढ़ी हरे।  तभे थोरिक दुरिहा ले अवाज आथे। डॉ वर्मा के संगे संग जम्मो भीड़ घलो उही आवाज़ कोती देखे ल धर लेथे। तभे एक झन सियनहा ह कहिथे आवा गुरुजी बने बेरा म पहुँचे हव...। 
आँखी म चश्मा लगाए अउ मुहूँ मा उरमाल बाँधे गुरुजी आघू म आके डॉ वर्मा ले माफी माँगत कहिथे ... डॉ साहब ये लइका मन ला माफी देहू इँखर कुति ले मैं माफी माँगत हँव...अउ येमन कहूँ धोखा से बीमार परके आप के पास आही त अइसने कहि देहू मैं तो दूसर गाँव ले आये हँव...तुँहर इलाज काबर करहू ? जा अउ कखरो अउ करन इलाज करा लव...। डॉ वर्मा कहिथे नही साहू जी अइसे कोनो बात नइहे।
लइका मन जतर कतर भागे लगीन सियान मन तको देखा देखी येती तेती खसके लागिन। तभे गुरुजी कहिथे आप मन ले मोर निवेदन हे कि जेन जेन जिहाँ खड़े हव उही मेर रुक जव ...। लइका मन तको रुक जव अउ मोर एक गोठ सुनव। बेटा तुमन यानि युवा पीढ़ी ये झन समझव की तुमन खाली अपन गाँव भर के थाथी हरव। अरे तुमन तो ये जिला, राज्य अउ देश के धन हरव ...अवइया बछर म तुहि मन पूरा देश ला सम्हालहु अउ आज एक ठन नान्हे घटना म आपस म लड़त हव। बता राकेश का होगे ? राकेश मुड़ नवाये चुप्पे खड़े होगे। रवि तँय बता का होगे ? काबर ये झगरा माते हे ? अच्छा कका तँय बता ये लइका मन काबर लड़त रिहिन ? गुरुजी अपन तीर म खड़े एक झन सियान ल पूछथे।
सियनहा कुछु नही गुरुजी ये राकेश के भाई ह ये पेरउसी म आगी लगा दिस अउ येखर लुक ह उड़ा के ये लइका रवि उपर पड़गे इही म बात-बात म बात बिगड़गे। देखव राकेश, रवि बेटा तुम दुनो संगे म घुमथव, संगे म खेलथव अउ नानकुन बात म झगड़ा ? बेटा ये का हरे ? गुरुजी पूछिस। गुरुजी माफी देहू अब हम दुनों झन नइ लड़न...। राकेश अउ रवि सँघरा माफी माँगत किहिन।ठीक हे बेटा फेर अभी बूता ह पूरे नइहे अभी तो असली काम बाँचे हे...। अच्छा ये बतावव हमर गाँव म कोनो बिहाव होवत हे का ? गुरुजी पूछिस। नही गुरुजी 8-10 घर बिहाव रिहिस तेन ला कोतवाल अउ सरपंच आके मना करिन की अभी का कोरोना फ़इले हे अभी एके जघा नई जुरियाना हे। कहूँ सगा पहना आना जाना नइ हे। राकेश किहिस। 
गुरुजी कहिथे... सिरतोन काहत हस बेटा अभी जेन कोरोना रूपी समस्या ये दुनिया म बगरे हे तेखर सेती जतका भी कार्यक्रम जेनमा भीड़ होय के अनुमान हे वो सब ला बन्द करा दे गए हे। हमर का ये सियान मन के सुरता म घलो अइसन बेरा नइ आय होही की कभू कोनो बछर नवरात्रि जैसे पबरित परब मा सेवा करे बर मंदिर दर्शन करे बर कोनो सरकार हा रोक लगाही। ये कोरोना ह महामारी आय। एक काम करव वो बारी म पैरा दिखत हे एक करपा पैरा ले आ अउ ये आगि म डार दे...। गुरुजी...? जेन कहत हँव वो बूता कर ना राकेश ...। जम्मो झन बोकोर बोकोर गुरुजी डाहर ल देखत राहय। राकेश ह एक करपा पैरा लान के सुलगत पेरउसी उपर डार देथे। 
थोरके बेरा म आगी बंग ले बर जथे ... पैरा म आगी लगते सांट आँच बाढ़ जथे सब मनखे आगि आँच ले बाँचे बर जतर कतर तिरिताय ल धरथे ...। तभे गुरुजी कहिथे चलव आगि म कोन कोन कूद सकत हे ? आगि म कोन कुदही गुरुदेव ? डॉ वर्मा ह तुरते कहिथे ...। दु चार झन सियान मन घलो मुड़ी डोलावत हुँकारु देथे। अरे ये मन कूद सकत हे ना...। हमर गाँव के लइका मन, सियान मन सब हिम्मतवाला हें। ये मन आगि म घलो कूद सकत  हें। कइसे राकेश, रवि ? गुरुजी किहिस। नही गुरुजी, आगि म कुदबो त तो जर के भूँजा जबो। 
राकेश अउ रवि एके सँघरा जवाब दिन। बेटा जर के तो अभी घलो भूँजावत हव...। नई भूँजाय होहू त अइसने में भूँजा जहु। जेन आगि अभी बरत हे तेन ना तो दिखत हे अउ ना वोमा आँच हे वोखर ले कइसे बाँचहू ? गुरुजी समझावत किहिस। सब झन गुरुजी डाहर ल बोकोर-बोकोर देखे ल धरलिन। समझ म कखरो नइ आइस। बने फोरिया के समझा गुरुजी हमन ल तोर ये गोठ समझ म नइ आवत हे। तभे एक झन सियान ह कहिथे। गुरुजी कहिथे... पहिली तो मैं आप जम्मो झन ले हाथ जोड़ के गिलौली करत हँव की जम्मो झन छट्टा छट्टा म खड़ा हो जव। तेखर बाद गुरुजी कहिथे ... देख कका अभी दुनिया भर मा कोरोना वायरस के महामारी ले हाहाकार मचे हे। अउ रोज हमर देश के प्रधानमंत्री, राज के मुख्यमंत्री, जिला के कलेक्टर, सांसद, विधायक मन येखर खतरा ले कइसे बाँच सकत हन तेनला बतावत हे। 
हमर गाँव के सरपंच घलो काली कोतवाल करन हाँका परवाइस हे। ये जतका नवा लइका हे ते मन ला देख ले जम्मो झन के हाँथ म मोबाइल हे। येमन वाट्सअप अउ फेसबुक म रोज ये कोरोना के खतरा ल पढ़त हे। इहु बात ल पढ़त हे की ये बीमारी ह आपस म अइसन सकलाये म जादा बगरथे, हाथ मिलाये म येखर खतरा बढ़ जथे। थूंके, खंखारे अउ छींके म तीर तखार के मनखे म ये कोरोना के बगरे के डर रहिथे। अउ ये बीमारी के अभी तक कोनो इलाज घलो नइ बने हे ऐसे म हमर समझदारिच ह हमला बचा सकत हे। अभी हमर गाँव डाहर ये बीमारी ह नइ पहुँचे हे। इही पाय के सरकार अतका घाटा सहिके अपन देश के मनखे मन ला बचाये खातिर लॉक डाउन करे के फैसला करे हे। हमन ला एक सच्चा नागरिक बनके दिखाना हे सरकार के साथ देना हे। गाँव के एक मनखे उपर कहूँ ये कोरोना आगे त ये समझ लव इहाँ हर घर के मनखे के जाँच होही। पुलिस के पहरा लगही। 
सब झनला चौबीसों घण्टा घरे म रेहे ल परही। अउ जतका मसमोटी ये लइका मन करत हे ना पुलिस के डंडा पड़ही सब बन्द हो जही। ये तो प्रशासनिक गोठ होगे हम ला खुद समझना चाही की जेन बूता ल हमर सरकार मना करत हे हमला वो बूता नइ करना चाही। ये कोरोना वाइरस ह आगि ले जादा जरोथे भले येमा आँच नइहे फेर तीर-तीर म रहइ हा पेट्रोल के काम करथे अउ एक भी मनखे ल कहुँ होगे त वोखर संग रहइया, भेंट करइया, जूठा खवइया, हाथ मिलइया मनखे म बात कहत म बगर जथे। वोखर छींक, थूक, लार अउ खँखार ले घलो ये कोरोना के वाइरस ह बगरथे। येखर ले बाँचे के डॉ मन हा कुछ उपाय बताथे उन उपाय ल अपन जिनगी म उतार लव त हम ये महामारी ले बाँच सकत हन। का उपाय बताथे गुरुजी हमु मन ल बतावव। 
हमुमन वो उपाय ल अपनाबो ? एक झन जवनहा मनखे ह पूछथे। ये वाइरस ह मुँहू, नाक अउ आँखि ले भीतरी घुसरथे त सलले पहिली बूता ये करना हे की जब भी जेवन करना होही त साबुन में 20 सेकंड तक हाथ धोवव। घेरी भेरी नाक, मुहँ, आँखि ल झन छुवव। मुहूँ म मास्क या पँछा बांध के घर ले निकले करव। भीड़ भाड़ वाले जघा म झन जावव। बजार ले लाये साग भाजी ल गरम पानी म नून डार के धोवव। कोरोना वायरस प्लास्टिक में 3 दिन, कपड़ा म 1 दिन अउ लोहा म 9 दिन तक जिंदा रही जथे। किराना समान ल लाये के तीन दिन बाद बउरव। आज लॉक डाउन के पहिलइया दिन हरे अभी बीस दिन अउ पहाना हे त ये आगि ल बगरन झन देवव अपन अपन घर में राहव। बाहिर निकलनाच हे त कम से कम 6 फ़ीट दुरिहा म राहव। दूसर देश-प्रदेश ले आये मनखे ल 14 दिन तक घरे म रेहे बर कहव। कोनो ल खासी, बुखार, सर्दी अउ साँस रुके के परेशानी एके संघरा होही त कोतवाल या सरपंच ल तुरन्त बतावव सरकार वोखर इलाज के पूरा बेवस्था करही। कोनो ल समझ नइ आये होही त अउ बताहू अउ समझ में आगे होही त तुरते अपन अपन घर जावव अउ बिना जरूरी काम के बाहिर झन निकलव इही विनती हे...। 
खुद भी स्वस्थ राहव अउ दूसर ल घलो स्वस्थ रखव। जम्मो झन अपन अपन घर चल देथे। डॉ वर्मा कहिथे साहू जी सिरतोन म बढ़ सुग्घर ढंग ले आप कोरोना के बारे म जम्मो झन ला समझाए। गुरुजी कहिथे ये मन तो समझ गे वर्मा जी का सबो गाँव अउ शहर के मनखे मन अइसने समझही ? समझही साहू जी जिहाँ नइ समझही उहाँ ऊपर वाले आप जइसे कोनो न कोनो ल भेजही...। चलव अब मोला अपन ड्यूटी म घलो जाना हे जय जोहार... वर्मा जी किहिस अउ दुनों झन अपन अपन घर कुति चल दिन।
- ईश्वर लाल साहू 'आरुग'
पता- ग्राम- ठेलका, साजा-थानखमरिया 
जिला-बेमेतरा, छत्तीसगढ़ 

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