अक्ती परब म उदास हाबे बजार

अंजोर
छत्तीसगढ़ म अक्ती परब के बड़ महत्ता हाबे, खास करके किसानी बुता करइया मन तो अऊ गजबे मानथे। केऊ ठी नेंग-नता बर इही दिन ल लोगन मन जोंगे रिथे।नोनी-बाबू के बिहाव, नवा जिनिस के बउरे के संग किसान मन दोना भर धान ल ग्राम देवता म अरपन करके बिजहा जमोथे। नवा करसा म पहिली पानी रूखा-राई, देवी, देवता ल पियाथे तेकर पाछू करसा ल बउरथे।
तइहा के परंपरा ह तो बने रकम ले चलत हाबे फेर जेन ह बजार के भरोसी रि‍हिसे तिकर एसो बर करलई होगे हाबे। दुनिया म सचरे महामारी के सेती शहर के लोगन मन कांही जिनिस नी बिसा सकिन। अब उदुप ले बजार खुले ले समान तो मिलत हाबे फेर लेवइया अउ बेचइया मन म आगू असन रौनक नइये। काबर के बजार के कोनो ठिकाना नइये कब खुलही कब बंद होही। 

अक्ती परब म उदास हाबे बजार

करसा, दीया, माटी के पुतरी-पुतरा अऊ आन बिहतरा समान धर के गांव ले बेचे बर शहर अवइया मन घरे म खुसरे रइगे। पर्रा, बिजना अउ मउर ले करसा-कलउरी वाले छोटे बेचरउहा जिनिस मन बिसइया के अगोरा म बइठे रइगे। बड़े शहर के बजार वाले मन लोक परब म तको गजब लेन-देन करय। सोना, चांदी, बर्तन, कपड़ा दुकान हर सुन्ना होगे हावय।
  • हडि़या पसरा- गोल बजार के हडि़या पसरा काहात लागे। गांव म खोजे नइ मिले तहू जिनिस ल उहां पावे लोगन मन। शहर तिर के गांव के लोगन मन बिहाव के सरी जिनिस करसा-कलउरी, पर्रा-बिजना, मउर अऊ नेंग के सरी जिनिस ल लेंवय फेर अब ऐसो अक्ती के दिन ल देखन तव कतकोन पसरा वाला मनके समान तोपाय के तोपाय माड़े हावय। नेंगहा करसा भरके बिकरी होवत हाबे, उहू म पानी पीये के बिसावथे।
  • सोनार लाइन- अभी बजार म सोनार लाइन के दुकान ल खोले के आदेश नइ होय हाबे कोरोना के सेती। जेन-जेन जरूरी जिनिस के दुकान हाबे तेने मन खुलत हाबे। वइसे अभी के बखत ल देखत सोना-चांदी ले जादा जरूरी खाये-पीये अउ दवई के जादा जरूरत हाबे।  
  • कपड़ा अउ बर्तन दुकान- वइसे तो गांव अउ छोटे कस्बा म यहू समान मिल जथे फेर बड़े शहर म ये दुकान मन अभी भी बंद हाबे। कब खुलही यहू बात के कोनो दिन तिथि के करार नइये। अभी तो सबे कोनो महामारी ले बांचे के उदीम लगे हावय। जिनगी ले बड़के कांही नहीं।

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