लाखों के 'रेट लिस्ट' वाले कथाकार मन के बीच, कामता प्रसाद शरण कुडेरादादर वाले के 'ठेठ छत्तीसगढ़ी' सादगी ह जीत लिस करोड़ों मनखे मन के दिल

अंजोर
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आज के जुग म जिहाँ अध्यात्म के मंच ह 'कॉर्पोरेट इवेंट' सही चमके लग गे हे, जिहाँ कथावाचक मन के 'दक्षिणा' लाखों म तय होथे अउ जिहाँ वीआईपी प्रोटोकॉल के बिना परवचन सुरू नई होवय, उहां  छत्तीसगढ़ के पावन भुइँया म एक अइसन व्यक्तित्व घलो हे जेकर सादगी ह ये तड़क-भड़क वाले सिस्टम ल आईना देखावत हे। गरियाबंद जिला के एक छोटे से गाँव ले निकले श्री कामता प्रसाद शरण (कुडेरादादर वाले) आज भक्ति अउ सरलता के ओ पहिचान बन चुके हें, जेकर गूंज पूरा परदेस म हवय।

भक्ति के 'बजार' बनाम कामता जी के 'भाव':
अक्सर देखे जाथे कि बाहिर ले आवे वाले बड़े-बड़े कथावाचक मन बर बड़े-बड़े पंडाल, विज्ञापन अउ लाखों रुपिया के बजट तइयार करे जाथे। पर एकर उल्टा, कामता प्रसाद शरण जी के सबले बड़े पूंजी ओकर 'ठेठ छत्तीसगढ़ी' बोली अउ माटी ले जुड़ाव आय। ओमन कोनो लग्जरी गाड़ी ले उतर के ऊँचा सिंहासन म बइठे के जगा, आम जनता के बीच म बइठ के हारमोनियम के थपकी के संग जब 'राम-नाम' के रस घोरथें, त सुनइया मन मगन हो जाथें।

बिना कोनो आडंबर के राममय होइस छत्तीसगढ़:
कामता जी के कथा म कोनो बनावटीपन नई राहय। ओमन जानथें कि छत्तीसगढ़ के किसान अउ गाँव के मनखे मन ल अपन भासा म ही धरम के बात समझ आथे। जहाँ बाहिर के कथाकार मन कठिन संस्कृत के सुलोक अउ भारी-भरकम सबद म धरम ल उलझा देथें, ओही जगा कुडेरादादर वाले महाराज ह हँसी-मजाक अउ हमर रोज के गोठ-बात के जरिया रामायण के गूढ़ बात मन ल सहज बना देथें। ओमन ये बात ल सच कर दिस कि रामनाम के परचार बर कोनो बड़े 'ब्रांड' या विज्ञापन के नई, बल्कि साफ मन के जरूरत होथे।

सादगी जेहा मिसाल बन गे:
आज जब धरम के नाव म करोड़ों के लेन-देन होवत हे, कामता प्रसाद जी सही मनखे मन ये सुरता कराथें कि 'भक्ति ह बपार नई, बल्कि सरधा आय'। ओकर कथा म उमड़े भारी भीड़ ह ये बात के गवाह हे कि मनखे मन आज घलो चकाचौंध ले जादा सचाई अउ सरलता ल पसंद करथें। बिना कोनो लालच के, गाँव-गाँव जाके रामनाम के जोत जगाना ही ओकर असली दछिना आय।

कामता प्रसाद शरण जी सिरिुप एक कीर्तनकार नो हें, बल्कि छत्तीसगढ़ी अस्मिता अउ संस्कृति के रखवार घलो हें। ओकर जिनगी अउ ओकर सहेली (शैली) हमन ल सिखाथे कि प्रभु श्री राम ल पावे बर आडंबर के सीढ़ी नई, बल्कि सहजता के रद्दा अपनाना चइही। छत्तीसगढ़ के माटी के ये अनमोल रतन ह ये साबित कर दिस कि सच्ची कथा ओही आय जेहा कान ले नई, बल्कि हिरदे ले होके गुजरे।
जय जोहार, जय छत्तीसगढ़!

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सबो पाठक ल जोहार..,
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छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।

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