सुरता : चित्रोत्पला ले उपजिस-बाढि़स अउ जग म गम्मत‍ देखाके ‘चित्रोत्पला गंगा’ म लीन हेमंत वैष्णव...

अंजोर
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देशभर म लगभग सवा सौ मंच म खेले गे छत्ती़सगढ़ी गम्मत शैली के सुप्रसिद्ध नाटक ‘राजा फोकलवा’ के अहम किरदार फोकलवा यानी हेमंत वैष्णव जी हमर बीच नइ रिहिन।


देशभर म लगभग सवा सौ मंच म खेले गे छत्ती़सगढ़ी गम्मत शैली के सुप्रसिद्ध नाटक ‘राजा फोकलवा’ के अहम किरदार फोकलवा यानी हेमंत वैष्णव जी हमर बीच नइ रिहिन। सन् 1978 म धमतरी जिला के मगरलोड ब्लॉक के गांव बोडरा के मास्टर परिवार म जन्मे हेमंत वैष्णव 29 फरवरी 2024 के बिहनिया आखिरी सांस लिस। नश्वर दुनिया म ओमन अपन पाछू मां, पत्नी, एक बेटा अउ एक बेटी संग कला बिरादरी के अनगिनत साथी ल छोड़ के चल दिस। रोवासी मन ले तोर करनी ल सोरियावत गुनगावत संगीमन काहत हे- ‘ये तै बने नइ करे फोकलवा।’ ...बड़ भागमानी होथे अइसन कलाकार जेकर कर्म ही चिन्हारी बनथे। लोगन हेमंत वैष्णव ल मूलनाम ले जादा राजा ‘फोकलवा’ के नाम ले जानथे। राजा फोकलवा उही चर्चित नाटक आए जेकर देश के 14 राज्य म 120 ले जादा मंचन होगे हावय। गांव के गुड़ी ले लेके दिल्ली, बंबई अउ कलकत्ता जइसे महानगर के बड़े-बड़े थियेटर म फोकलवा के फोक फोक..., ले घनघोर ताली पिटवइया बेमिसाल कलाकार के अइसे कमती उमर म जाना..., मन नइ मानत हे। फेर छाती म पथरा लदके केहे बर परथे, सिरतोन हेमंत भइया तैं अड़बड़ सुरता आबे। छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा, फेर अवतरे के अगोरा म... सादर नमन।

धमतरी जिला के मगरलोड तिर के नानूक गांव ले निकल के लोककला के क्षेत्र म संगीत नाटक अकादमी के उस्ताद बिस्मिल्ला खां युवा पुरस्कार तक पहुंचना, उंकर कला के ऊंचाई ल दर्शाथे। ओमन बतावय के गांव म तको बहुत प्रतिभाशाली लइका रिहिन। बचपन म आन मनखे के चिट्ठी पाती लिखत-लिखत जवानी म एक लेखक बन गिस। गांव के लीला मंडली के नानूक पाठ के सीख ह बड़े होए म सफल रंगकर्मी बना दिस। कला-संस्कृति-साहित्य के समझ ओमन गांव के माटी ले धरे आये रिहिन। तभे तो छत्तीसगढ़ी कला-संस्कृति-साहित्य के अलावा अउ आन कुछू सोचबे नइ करत रिहिस। गांव ले शहर पढ़ई करे बर आइस, संस्कृत कॉलेज म एडमिशन लिस। लेकिन नियति ह तो उंकर बर कुछु अऊ सोचे रिहिस। हेमंत वैष्णव ले छत्तीसगढ़ी लोककला के सेवा करवाना चाहत रिहिस छत्तीसगढ़ महतारी ह। अउ ओमन अपन सक भर सेवा तको करिस।

हेमंत भइया के कलाकारी के उमर लगभग ओतके होही जतेक हमर अलग छत्तीसगढ़ राज्य के हावय। माने ओमन ल मैं प्रथम छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के दिन ले जानत हँव। हालांकि येकर पहिली तको ओमन कलाकारी करत रिहिस, फेर सिखती बेरा के रिहिस। बात ओ बखत के आए, जब संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार ले सम्मानित लोक संगीज्ञ गुरूदेव राकेश तिवारी पुरानी बस्ती रायपुर के जैतुसाव मठ म संगीत साधना करय। राकेश तिवारी जी मन संगीत साधना के संगे-संग लइका मनला तको सीखोय अउ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ ले लोक संगीत म डिप्लोमा कोर्स करावय। 

सन् 2001 के मई महीना के संझा मैं अउ मोर साथी चित्रोत्पला लोककला परिषद के कार्यालय ल खोजत पुरानी बस्ती के जैतुसाव मठ पहुंचेन। उहां जाते ही दंग रहिगेन- ‘अरे ददा रे ! जेन मनला टीवी अउ वीडियो फिलिम म देखन, केसेट म जेकर गाना सुनन तेन आकाशवाणी-दुरदर्शन कलाकार मन उहां रिहर्सल करत राहय। राकेश तिवारी, शीतल प्रसाद शर्मा अउ सुदामा शर्मा, नरेन्द्र यादव जी मन ल ओ पइत चिनहत रेहेन। चित्रोत्पला लोककला परिषद के कार्यक्रम तको चलय जेकर मुखिया गुरूदेव राकेश तिवारी जी रिहिन। बताथे के संस्था के नाम ‘चित्रोत्पला’ ल पुरखा गीतकार हरि ठाकुर जी मन रखे रिहिन। काबर के महानदी के जुन्ना नाम चित्रोत्पला रिहिसे, उहीच गढ़हन म इहों कला, संस्कृति, साहित्य के समागम होथे तेन पाके संस्था के नाम चित्रोत्पला लोककला परिषद धराये रिहिन।    

वो बखत रायपुर म कई अऊ नाट्य संस्था रिहिस अभी तको हावय, लेकिन ओमन हिन्दी प्ले करय। छत्तीसगढ़ी रंगमंच भले कमती रिहिस फेर लोककला मंच के कोनो कमी नइ रिहिस। ये सब के उल्लेख मैं ये सेती करत हँव के मैं चित्रोत्पला लोककला परिषद के जेन जलवा देखके उहां रमगेंव संभवत: हेमंत वैष्णव तको रमगे अउ जमगे। संझा 5 बजे ले 7 बजे तक लोक संगीत क्लास ओकर बाद कार्यक्रम के रिहर्सल चलय। जेमा बड़े-बड़े धुरंधर मनके जमघट लगय। केसेट के गायक-गायिका, रिकॉर्डिंग स्टूडियो के वादक,  सिनेमा कलाकार के संग लेखक मन तको आवय।

जैतुसाव मठ म चित्रोत्पला लोककला परिषद के बहुत बड़े हाल म रिहिस। हेमंत वैष्णव घलो उहां पहिली ले पहुंच जाय राहय। हमु मन जान अउ आखिरी तक बइठे-बइठे, देखन-सुनन। राकेश तिवारी सर ह छोटे-छोटे प्रोग्राम म लेग के मंच म उतरे के मउका देवय। उही बखत हेमंत भइया ह आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र म युववाणी के छत्तीसगढ़ी कम्पयेर बने रिहिस। मंगलवार, गुरूवार अउ शनिवार के संझा 5:05 के रायपुर टेसन ले जोहार होवय। ओ बखत अरूण निर्मलकर, उमेश तिवारी, अउ निधि शर्मा तको हेमंत भइया संग छत्तीसगढ़ी कम्पयेर रिहिस। अरूण निर्मलकर अभी संस्कृति विभाग म हावय अउ उमेश तिवारी मध्यप्रदेश जीएसटी विभाग म बहुत बड़े अधिकारी ज्वाइंट कमिश्नर होगे हावय।

इही बीच 2002 के दरमियान रंग निदेशक राकेश तिवारी जी एक नाटक राजा फोकलवा के परिकल्पना करिस। बहुत लम्बा रिहर्सल चलिस, सिनियर कलाकार मन बतावे के नवा-नवा एक्टर हे, पहिली बार मंच म उरतही तेकर सेती जादा रिहर्सल चाही। ये बीच प्रदर्शन के पहिली तिवारी सर ह नाटक के बड़े जानकर, संगीत मर्मज्ञ अउ गुनी साहित्यकार मनला बलावे अउ नाटक देखाके उंकर विचार अउ सुझाव मांगय। राजा फोकलवा नाटक ल पद्मभूषण हबीब तनवीर तको देखे हावय। शुरूआती दौर के कलाकार म- हेमंत वैष्णव, सुदामा शर्मा, नरेन्द्र यादव, मनोज मिश्रा, इंद्रकिशोर तिवारी, हेमलाल पटेल, शैफाली सोनी, लक्ष्मी पांडेय, सरिता पाठक, सुमन यादव, हेमा यादव, संतोष ठाकुर, जयंत साहू, रोहित साहू, विनोद शर्मा, विनय तिवारी, भूपेन्द्र रातड़े, निलेश देवांगन, हरिश, पुरषोत्तम चंद्राकर,  हेमंत शुक्ला, दुष्यंत द्विवेदी जइसे नाम रिहिस। संगीत पक्ष म राकेश तिवारी सर, विजय शर्मा, मनीष लदेर, उत्तम ठाकुर, आरती ठाकुर, विजिया राऊत, मिनाक्षी राऊत, मोहन साहू जइसे नाम रिहिस। खास मउका म रामकुमार साहू, मधुसुदन भारती, तुकाराम ठाकुर मन तको आवय। राजा फोकलवा नाटक के रायपुर के रंगमंदिर म 2003 ले पहिली मंचन के बाद सिलसिला संभवत: 2019 तक जारी रिहिस। ये बीच परब विशेष अउ मंच के मांग के मुताबिक आन कार्यक्रम के प्रस्तुति तको होवय।

हेमंत वैष्णव जी अपन आप ल नाटक बर समर्पित कर दे रिहिस। भले नौकरी-चाकरी छूट जाय फेर नाटक नइ छुटना चाहि। ये बीच आजीविका बर ओमन कई ठी ठीहा-पानी म बुता करिस। आकाशवाणी के युववाणी म कम्पेयरिंग के बुता ह स्थायी नइ राहय, उमर होए के बाद छोड़े ल परगे। ओकर बाद एनजीओ कोति रूख करिस। अंतरराष्ट्रीय समाज सेवी संस्था ‘केयर इंडिया’ म ओमन बनेच दिन तक काम करिस। केयर ह ओ बखत ‘एड्स’ बीमारी के जन जागरूकता बर बुता करत रिहिस। इहू काम म बहुत मजा आवय हमन (विनोद शर्मा, हेमलाल पटेल, जयंत साहू) हेमंत भइया संग कठपुतली नचाय बर हाइवे म ड्राइवर मनके बीच जावन, सेक्स वर्कर मनके बीच जावन। केयर के नौकरी म हमन नइ रेहेन लेकिन कलाकारी के शौक रिहिस इही सेती कठपुतली नाच अउ नाटक करे बर चल देत रेहेन। ये बीच नाटक के मंचन अउ रि‍हर्सल संझाकुन चित्रोत्पला म चलते राहय। काम बुता के दिनभर के हर्रो हर्रो ले उहेंच बने जी ह जुड़ाय। हेमंत भइया अउ नरेन्द्र भइया तिर एक डायरी राहय जेमा कतका मंचन होवत हाबे तेकर रिकार्ड लिखावे।

मंचन के क्रम धीरे-धीरे आगू सरकत रिहिस। अउ येती हेमंत भइया काम बुता के गुड़ी कलथत रिहिस, अब ओमन एसएचआरसी (स्टेट हेल्थ रिसोर्स सेंटर) म आगे रिहिस। एसएचआरसी म ओमन ल बड़का जिम्मेदारी मिलिस। गांव अउ गली मोहल्ला म जब भी ‘मितानीन’ दिखही हेमंत भइया सुरता आही। वइसे तो ‘मितानीन’ प्रोजेक्ट बर शासन अउ एसएचआरसी के पूरा टीम रिहिस लेकिन रेडियो के माध्यम ले जेन बात ल स्थानीय बोली म जन जन तक बगराना रिहिसे ओला हेमंत वैष्णव ह रेडियो धारावाहिक ‘कहत हे मितानीन’ के धुआंधार कई एपिसोड लिखके साकार करिस। न सिरिफ छत्तीसगढ़ी बल्कि इहां के आन बोली म तको बुता करत महतारी भाखा के ऋण से उऋण होइस। ये बीच नाटक राजा फोकलवा के मंचन ह पचास ले आगर होगे रिहिस होही। 

समय के संग बहुत झन कलाकार मनके अदला-बदली के दौर चलत रिहिस। इही बेरा बहुत ही शानदार कलाकार, जिंदा दिल इंसान इंद्रकिशोर तिवारी जी निधन होगे। इंद्रकिशोर तिवारी हमेशा हास्य रस म राहय, कठकाठी म छोटे, दुबला पतला शरीर के सेती उनला बुठुल महराज काहय उंकर जहुरिया कलाकार मन। दुनिया तको तो एक नाटक आए, ऊपर वाला के मंच म हम सबो अपन-अपन किरदार खेलत हन, कब काकर बुलावा आ जही कोने नी जाने रे भाई।

एसएचआरसी म ही काम बुता के सेती ओमन बस्तर, सरगुजा दौरा म राहय, उंहा के स्थानीय बोली के जानकार कलाकार मन सो मिलय। अउ शायद इही बीच उंकर बिहाव तको होगे। उंकर पत्नी श्रीमती लतिका वैष्णव जी बस्तर के लोक चित्रकार आए। प्राकृतिक रंग ले केनवास म कलाकारी के गुण ओमन अपन पिता जी ले सीखे हावय, माने हेमंत भइया के ससुर खेम वैष्णव जी बस्तर के नामी लोक चित्रकार आए। इहां एक नाम अउ बड़ सम्मान से लिये जाना जरूरी हावय हरिहर वैष्णव जी के। लाला जगदलपुरी के बाद यदि बस्तर ल, बस्तर के कला अउ साहित्य ल जानना हे त हरिहर वैष्णव जी ल भी जाने ल परही। बिहाव के बाद घलोक उंकर कलाकारी जारी रिहिस। पत्नी के तको बरोबर सहयोग मिलते रिहिस। ओमन नाटक के मंचन तको देखे बर संग म जावय, कुछ शो म रानी के किरदार तको निभाइस।

राजा फोकलवा नाटक म एक बहुत खास बात रिहिस के हेमंत वैष्णव भर तइयार रहना चाहिए बाकि आन कोनो कलाकार नइ रही तभो बन जही। एक बार तो ओडिसा के भुनवेश्वर म कार्यक्रम रिहिस अऊ नाटक के निर्देशक राकेश तिवारी सर ही नइ गिस। तभो ले बाकी टीम तइयार रिहिस शानदार मंचन करके आगे। केहे के मलतब बाकी कलाकार मनके अनुपस्थिति म बदलके काम चला लेथे। दूसर लोकमंच अउ चित्रोत्पला म एक बहुत बड़े अंतर देखेवं कि इहां कलाकार मन अपन जुनून बर काम करथे। कलाकारी कोनो के रोजी-रोजगार नोहय। सबो के अपन-अपन ठीहा पानी हावय। ठीहा-पानी के मलतब मजदूर वर्ग के नइ हे भई..., अधिकांश कलाकार नौकरीपेशा रिहिस। कलाकारी के जुनून रिहिस तभे आवय। कभू कोनो न छुट्टी नइ मिले तब कलाकार बदले ल परय। ये कलाकार मनके बदली के दौर म एक दिन पता चलिस के हेमंत वैष्णव ह एसएचआरसी ल छोड़ दिस। काबर छोडि़स कइसे छोडि़स येकर तो जानकारी नइये लेकिन ओमन अकसर काहय नाटक बर नौकरी छोड़े बर परही त छोड़ तको देहँव। हो सकथे नाटक बर छोड़ दिस होही, जुनूनी तो रिहिस।

बीस साल के सुरता अब थोकिन धुंधलासी होगे हावय। 2011 के बाद ले मैं चित्रोत्पला के कार्यक्रम अपन निजी व्यस्तता के सेती नइ जा पात रेहेवं। एक तो रोजी रोजगार के परमानेंट ठीहा चाहिये रिहिस अउ दूसर कलाकारी ले जादा साहित्य सेवा म मन लगगे रिहिस। तभो ले चित्रोत्पला के कलाकार मनले बरोबर संपर्क म रेहेवं। कब कहां कार्यक्रम हे सबो के जानकारी बरोबर राहय। 100वां मंचन ल यादगार बनाये बर 22 अगस्तर 2015 म महंत घासीदास संग्रहालय परिसर रायपुर शानदार कार्यक्रम रखे गे रिहिस। जिहां सबो जुन्ना कलाकार मनके सम्मान होइसे। सुरता म स्मारिका के प्रकाशन करे गिस। 100वां मंचन म प्रकाशित स्मारिका म सबो कलाकार मनके अनुभव अउ विचार प्रकाशित करे गे हावय। 100 के बाद तको गिनती आगू बढ़ते रिहिस, 120 ले आगर के आरो मिले हाबे। ये बीच रंग निदेशक राकेश तिवारी सर ल संगीत नाटक अकादमी अवार्ड अउ नाटक के अहम किरदार हेमंत वैष्णव ल संगीत नाटक अकादमी डहर ले उस्ताद बिस्मिल्ला खां युवा पुरस्कार के रूप म बड़े राष्ट्रीय उपलब्धि मिलिस। संग म देश के 14 राज्य के बड़े बड़े थियेटर, महोत्सव, नाट्य समारोह के आत्मीय सम्मान ले चोला गदगद हे।

शुरूआत ले अंत तक हर शो म कोई न कोई अइसे घटना होहे। जेन ल सिरिफ ओमा के कलाकार मनला पता हे। अउ जब जब मिलथन तब तब ओ बखत के किस्सा ल सुरता करके हॉंस लेथन। फेर अभी के मउका हेमंत वैष्णव ल सुरता करे के हावय। हेमंत वैष्णव अउ नाटक के मंचन ले जुरे कई किस्सा के पै, कभु अऊ उघारबो। अभी हेमंत वैष्णव के बीते के घांव हरियर हे।

मोर चित्रोत्पला के कलाकार मनले भेट मुलाकात सरलग बने रिहिस। एक दिन आरो मिलिस के दक्षिण मध्य सांस्कृतिक केंद्र नागपुर जोन ह छत्तीसगढ़ म अपन आफिस खोले हे अउ उहां हेमंत वैष्णव ल बइठाये हे। बने लागिस के चलो उंकर मन मुताबिक बुता मिलगे। संस्कृति भवन के पाछु म जिहां शिल्प मड़ई लगे उहे एक ठी खोली म आफिस बने हे जिहां हेमंत भइया ले छत्तीसगढ़ के कला-संस्कृति-साहित्य के संबंध म गोठबात होवय। उहां राहत ‘रंग मध्यदक्षिणी’ कार्यक्रम ले नाचा विधा बर बने काम करिस। ये बीच अब चित्रोत्पला के कार्यक्रम अब बहुत कम होगे रिहिस। तब हेमंत भइया सोशल मीडिया म अपन ठेठ अंदाज म एक्टिव होइस। पढ़ाई-लिखाई, काम-बुता, कलाकारी उक सबो कोति ले संगवारी मनला सोशल मीडिया म जोडि़स। थोरके दिन म हेमंत वैष्णव सोशल मीडिया म अतका लोकप्रिय होगे के ओकर पोस्ट के आगोरा करन, अइसन दिन आगे रिहिस।

फेसबूक म ओमन सबले जादा एक्टिव रिहिस। छत्तीसगढ़ ही नहीं छत्तीसगढ़ बाहिर के रंगकर्मी, लेखक, चिंतक मन उंकर संग सोशल मीडिया म वैचारिक गोठबात करे लगिस। उंकर पोस्ट के एक खासियत राहय ‘ना काहू से दोस्ती न काहू से बैर’ अपन बात ल कहीके चुपके ले निकल जाए। लिखय भले ओमन छोटे से लाइन लेकिन बात बहुत वजनदार राहय। पोस्टा ल..., समझे अउ कमेंट करे बर तको सोचे ल परे। ओमन लोक जीवन ले छोटे-छोटे चीज ऊपर नजर गढ़ाय, जेकर हम कल्पना नइ करे राहन। एक कोति ले देश के सैकड़ों यूट्यूब क्रियेटर मन नाम कमाये बर आने-आने व्यंजन बनाके गजब संघर्ष करत हाबे, उहें हेमंत वैष्णव जैसे मस्तमौला आदमी ‘अमली के लाटा’ बनाये के विधा पोस्ट करके वायरल हो जथे।

हेमंत वैष्णव अतके म नइ थिरावे, यकिन नइये त आजों उंकर फेसबूक के पोस्ट ल देखा, थर खवा दिही इमान से...। सिलबट्टा म पिसत लहसुन मिर्चा के चटनी, मुठिया के अलग अलग वैरायटी, चिरपोटी पताल के झोझो, कच्चा अमली आमा बोइर आवला ल बुकनी संग खाये-बनाये के विधी, भांटा खुला, भाजी खुला, आनी-बानी के चटनी..., सब म उंकर कॉपीराइट। रंग-रंग के खई खजेनी। कभु बस्तर राज के तव कभु रायपुर राज के। एक दिन हेमंत भइया मोला फोन करिन किथे- ‘चलना कैमरा लेबो। कुछ ट्रेडिशनल चीज मनके कलेक्शन करना हे।’ मैं हब ले तइयार होगेंव अउ जवाहर नगर के अजय कलर फिल्मस् म निकॉन बिसायेन। उंकर फोटोग्राफी के थीम आपमन फेसबूक म देख सकत ह। जइसे अर्जुन ह चिरई के आंखी ल टिपे रिहिस उही किसम ले हेमंत भइया ह लोक जीवन के आनीबानी के रंग अउ ढंग ल कैप्चर करे हाबे।  

सिरतोन किबे त भगवान उनला लोक जीवन के सबो आनंद लेहे के मउका दिस। तभे ठउका कोरोना बइरी झपाके। जाहिर हे सबो ल आर्थिक समस्या होइस, उहू परेसान रिहिस, फिर भी ओमन लोगन ल सोशल मीडिया म दवई-बूटी के संबल देवत रिहिस। जबर प्रकृति परेमी रिहिस, नाननान गमला म साग-भाजी उगाये राहय। अपने रांध के खावय अउ दुनिया ल टूंहू देखावय।

समय के संग दुनिया कोरोना ले उबरीस, फेर ओमन के दशा अउ दिशा ह कुछ खास बने नइ हो पाइस। कोरोना के बाद ले ही हेमंत भइया पहिली जइसे नइ रिहिस। व्यवहार म बहुत बदलाव देखे बर मिलत रिहीस। लोगन ले भेंट-मुलाकात कमतियागे रिहिस। आफिस म संगी-साथी कम होगे रिहिस। कोनो समस्या म हे अइसे तो नइ लागत रिहिस फेर कही न कही व्यवहार अइसे लगे के अब वो पहिली जइसे मस्तमौला वाला अदांज कहू गवांगे। मिलना-मिलाना कम होगे, ये बीच हालचाल के जानकारी पटेल के माध्यम ने मिलत रिहिस। साथी कलाकार अउ नाटक राजा फोकलवा के मंत्री यानी हेमलाल पटेल हमेशा फोकलवा ‘हेमंत वैष्णव’ के साथ दीस। ओकरेच भर नहीं हेमलाल पटेल ह सबो के दुख:सुख म संग देथे, सबसे उंकर घरेलु संबंध हाबे। सब ल फोन करके पुछथे- ‘अउ का हालचाल गा।’ फेर हेमंत भइया के अइसे अचानक जाना, अखरगे यार पटले भाई...।

अब कुछू नइ लिख पाववं। सुरता बहुत अकन अऊ बांचे हे...। मउका देखत लमियाबो...।

........हो सकत हे, मोर सुरता संसार म जेन परछाई दिखिस ओकर मूल स्वरूप आपके मुताबिक कुछू आन होही..., मानत हँव अंतर होही लेकिन अलहन नइ। छमा सहित, पॉलगी, जोहार...।

क्रमश: 
- जयंत साहू

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सबो पाठक ल जोहार..,
हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।

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