पुस्तक समीक्षा : छत्तीसगढ़ के पीड़ा के अभिव्यक्ति-"परिया टोरउनी रेगहा"

अंजोर
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पुस्तक समीक्षा : छत्तीसगढ़ के पीड़ा के अभिव्यक्ति-"परिया टोरउनी रेगहा"


छतीसगढ़ म चंद्रशेखर चकोर ल युवा मन छत्तीसगढ़ी फ़िल्म के हीरो के रूप म, लोक खेल म रुचि लेवैय्या मन ह लोक खेल विशेषज्ञ के रूप म अउ लेखक कवि / मन एक साहित्यकार के रूप म जानथे अउ पहिचानथे। कहे के मतलब आय कि चकोर जी ह कोन्हों परिचय के मोहताज नई हे। ओमन अपन पहिचान कोन्हों ढेखरा के सहारा ले के नई बनाय हे बल्कि उंखर काम के नार ह अतेक छछलिस अउ लामिस कि देखैया मन गुने लगिस की ये काखर काम के नार - बियार आय भाई जउन ह अतेक फुलत , फ़रत अउ महकत हे। तब लोगन ल मुक्तकंठ से कहना पडिस अरे!ये चंद्रशेखर चकोर के काम के नार आय जउन ह छत्तीसगढ़ी ओलम्पियाड के नींव बनगे। उंखर लिखे किताब लोक खेल नियमावली एक पुनः रीक्षण ( प्रतियोगिता में सम्मलित लोक खेलों के संग्रह )  अउ छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोक खेल संग्रह ( लोक खेलों का संग्रह ग्रन्थ ) एला कोन खेल प्रेमी छतीसगढ़िया ह नई जाने ?

अभी 23 अउ 24 सितम्बर के छत्तीसगढ़ राज भाषा के आयोजन होईस, ऊंहचे चकोर भैया संग मोर भेंट होईस। ओमन मोला मया के मारे  अपन दु किताब भेंट करिन। परिया तोड़वनी रेगहा छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह अउ डोंगरापाली छत्तीसगढ़ी उपन्यास। छत्तीसगढ़ के सबो विद्वान साहित्यकार मन मंच म ये बात के संशो- फिकर के गोठ जरूर करथे कि छतीसगढ़ी म गद्य साहित्य के अभाव हावे। ये कमी ल अपन स्तर म थोड़किन दुरिहाय के उदिम चकोर भैया ह करे हावे, येहा बड़ खुशी के बात आय।

अभी मैहा उंखर परिया तोड़वनी रेगहा कहानी संग्रह ल पढ़े हंव। तब छत्तीसगढ़ी भाषा के अर्थ सामर्थ्य ल देख के दंग रहिगेंव। हमर भाषा के शब्द सामर्थ्य ल जानके अचरज अउ खुशी दोनों एक संग होईस। हाना अउ ठेही, इंहा के परब - तिहार, लोक - जीवन, खेती- खार अउ जिनगानी के अलग - अलग रंग अउ ढंग ल चकोर भैया ह ये कहानी संग्रह म समोय हावे।

संग्रह के शीर्षक कहानी ह छतीसगढ़ म अपन बंजर जमीन ल खेत बनवाय बर रेगहा म दे के पारंपरिक प्रथा ल उभारे हे, फेर मुफ्त के माल कहाँ पचथे ? खेत मालिक ल फोकट म बने - बनाय खेत मिलिस फेर ओहा ओखर जतन नई कर सकिस अउ खेत ह फेर परिया पड़गे। अलाली के दुष्परिणाम ह ये कहानी के केंद्रीय भाव आय। बरातू कहानी म लेखक ह छतीसगढ़ के कलाकार अउ रंग कर्मी के पीड़ा ल व्यक्त करत ये बात के संदेश दे हावय कि दर्शक स्रोता के ताली अउ मंत्री - सन्तरी के दे कोन्हों प्रमाण पत्र भर ले कलाकार के न तो पेट भरय, न पुरखा तरय अउ न परिवार चलय। कलाकार मन ल संगठित होके सरकार ले अपन संरक्षण - संवर्धन बर आर्थिक सहायता के  मांग जरूर करना चाही अउ संगे - संग खुदे कलाकार मन ल अपन संगठन म अइसन आर्थिक कोष के स्थापना जरूर करना चाही जउन ह आढ़े समय म काम आवय। भूलेश्वर देव कहानी म छत्तीसगढ़िया एकता ल तोड़े के राजनैतिक षड्यंत्र के पर्दाफाश लेखक ह करे हे। इंहा के मनखे जब भी जनहित म संगठित होय के कोशिश करथे तब राजनेता मन अपन स्वार्थ सिद्ध करे बर कोई न कोई रूप म फूट डालके राज कर लेथे अउ हमन लुलवाते रही जथन। लेखक ल हमन ल ऊंखर चाल ल पहिचाने के अउ सावधान रहें के संदेश ये कहानी म दे हावे। आज शराब ह समाज के सबले बड़े समस्या बनगे हावे। येखर ले अपराध बाढ़त हे, घर परिवार टूटत हे अउ कतकोन समस्या के जड़ इही शराबेच आय फेर कोन्हों सत्ता ह ये समस्या के जड़ ल काटे के साहस नई कर पावत हे ? तब लेखक ह  चुलुक नाव के कहानी म अपन - अपन करव सुधार के संदेश दे हावे। बेवहर कहानी म लेखक ह गांव के संस्कृति, सहकारिता के बात करत कुंआ सरंक्षण के संदेश दे हे। काबर कि आज हम हवा अउ पानी बर घला मशीन ऊपर आश्रित होगे हन। मशीन बर बिजली चाही, बिजली बंद तहन मशीन के बोलती बंद। अल्हन के बेरा हमर पारम्परिक जलस्रोत कुंआ, तरिया, नाला, अउ बांधा ह हमर जबरदस्त सहारा आय, इंखर संरक्षण बहुत जरूरी हे।

अइसने आने -आने अउ बहुत जरूरी विषय मन ल केंद्र म रखके चकोर भैया ह ये कहानी संग्रह ल रचे हावे जउन  ह पढ़ेच अउ गुने के लइक हे। सन्देशप्रद कहानी लिखके अपन लेखकीय दायित्व के निर्वहन करैया चकोर भैया ल गाड़ा- गाड़ा बधाई ।
समीक्षक
वीरेन्द्र 'सरल'
मगरलोड धमतरी छत्तीसगढ़

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