अंजोर.रायपुर। आजादी के 75वीं वर्षगांठ म जनसंपर्क विभाग डहर ले लगाये प्रदर्शनी म शहीद वीर नारायण सिंह, भूमकाल विद्रोह के जननायक गुण्डाधूर, छत्तीसगढ़ के मंगल पाण्डेय कहे जाने वाला हनुमान सिंह सहित अनेक आजादी के दिवान के योगदान ल प्रदर्शित करे हावय। स्थानीय टाउन हॉल म चलत प्रदर्शनी म रोजाना स्कूली लइका अउ आमजन उत्साहपूर्वक छत्तीसगढ़ म देश के आजादी के आंदोलन म हिस्सा लेवइया स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के बारे म जानकारी लेत हावयं। प्रदर्शनी म रोज क्वीज प्रतियोगिता तको आयोजित करे जात हावय।आजादी के दीवान म केन्द्रित प्रदर्शनी प्रदर्शनी के पांचवां दिन आम नागरिक, युवा के संग ही पी. जी. उमाठे शा. उ. मा. कन्या शाला शान्ति नगर, रायपुर के छात्रा मन प्रदर्शनी के अवलोकन करिन अउ ए प्रदर्शनी के सराहना करिस।
भूमकाल विद्रोह के नायक गुण्डाधुर
गुण्डाधूर के जन्म बस्तर के नेतानार नामक गाँव म होए रिहिस। वो धुरवा जनजाति के रिहिस। गुण्डाधूर के जन्म बस्तर के नेतानार नामक गाँव म होए रिहिस। वे धुरवा जनजाति के रिहिस। अंग्रेज सरकार ह उहाँ बैजनाथ पण्डा नाम के एक व्यक्ति ल दीवान के पद म नियुक्त करे रिहिस। दीवान बैजनाथ पण्डा आदिवासि के शोषण करश् अउ उन म अत्याचार करत रिहिस। बस्तर के लोगन त्रस्त रिहिस। बस्तर के अधिकांश लोगन के आजीविका वन अउ वनोपज म आधारित रिहिय। दीवान बैजनाथ पंडा के नीति ले वनवासी अपन आवश्यकता के छोटे-छोटे समान खातिर तको तरसे लगे।
सन् 1910 ई. म जब बस्तर के संघर्ष होइस, तब गुण्डाधूर के उमर लगभग 35 साल रिहिस। वो सन् 1910 ई. के आदिवासी विद्रोह के सूत्रधार रिहिस। मई सन् 1910 ई. तक ये विद्रोह अंग्रेज डहर ले क्रूरतापूर्वक कुचल दिस। सोनू माँझी के विश्वासघात करे म उंकर कई संगी पकड़ाइस, बाद म फाँसी दे दीस, गुण्डाधूर बच निकले। अंग्रेज ह बस्तर के चप्पा-चप्पा छान मारिस, लेकिन अंत तक गुण्डाधूर के पता नइ लगा सकिस।
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