भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के राष्ट्र के नाम विदाई संदेश के छत्तीगसढ़ी अनुवाद, अंजोर म पढ़व

अंजोर
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Chhattisgarhi translation of farewell message to the nation by President of India Ram Nath Kovind

मयारूक देशवासी,
जोहार!

आज ले पांच साल पहिली, आप सब मोर उपर अपार भरोसा जताये रेहेव अउ अपन निर्वाचित जन-प्रतिनिधी के माध्यम ले मोला भारत के राष्ट्रपति के रूप म चुने रिहिस। आज मोर कार्यकाल पूरा होवत हाबे। ए मउका म मैं आप सबो के संग कुछ बात साझा करना चाहत हावं।

सबले पहिली, मैं आप सबो देशवासी के प्रति अउ तुँहर जन-प्रतिनिधी के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करत हावं। पूरा देश म अपन यात्रा के दौरान, नागरिक के संग होए संवाद अउ संपर्क ले मोला सरलग प्रेरणा मिलत रिहिस। छोटे-छोटे गांव म रहइया हमर किसान अउ मजदूर भाई-बहन, नवा पीढ़ी के जीवन के संवारने वाला हमर शिक्षक, हमर विरासत के समृद्ध बनाये वाला कलाकार, हमर देश के आने-आने आयाम के अध्ययन करने वाला विद्वान, देश के समृद्धि बढ़ाये वाला उद्यमी, देशवासी के सेवा करइया डॉक्टर अउ नर्स, राष्ट्र-निर्माण म संलग्न वैज्ञानिक अउ इंजीनियर, देश के न्याय बेवस्था के योगदान देने वाला न्यायाधीश अउ अधिवक्ता, प्रशासन तंत्र के सुचारु रूप ले चलाने वाला सिविल सर्वेंट्स, हर वर्ग के विकास ले जोड़ने म सक्रिय हमर सामाजिक कार्यकर्ता, भारतीय समाज म आध्यात्मिक प्रवाह के बनाए रखे वाला सबो पंथों के आचार्य अउ गुरुजन आप सबो ह मोला अपन कर्तव्यों के निर्वहन करे म भरपूर सहयोग दे हावय। संक्षेप म कहूं त समाज के सबो वर्ग के मोला पूरा सहयोग, समर्थन अउ आशीर्वाद मिले हावय।

मोर मनो-मस्तिष्क म वो सबो क्षण बिसेस रूप ले अंकित रइही जब मोर मुलाक़ात अपन सेना, अर्धसैनिक बल, अउ पुलिस के बहादुर जवान मन ले होवत रिहिस। उन सबो म देशप्रेम के अद्भुत भावना देखे ल मिले हावय। अपन बिदेस यात्रा के दौरान, जब तको प्रवासी भारतीय के संग मोर मिलना होइस, हर बार मोला मातृभूमि के प्रति उंकर गहरा प्यार अउ अपनापन के एहसास होइस। देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार समारोह के दौरान, मोला केऊ असाधारण प्रतिभा ले मिले के मउका मिलिस। वो सबो पूरा लगन, अटूट समर्पण अउ दृढ़ निष्ठा के संग एक बढि़या भारत के बनाये म सक्रिय हावयं।

ए प्रकार, केऊ देशवासी ले मिले के बाद मोर ये विश्वास अउ तको दृढ़ होइस के हमर निष्ठावान नागरिक ही वास्तविक राष्ट्र-निर्माता हावयं। अउ वो सबो भारत के बढि़या बनाये के खातिर प्रयासरत हावयं। अइसे सबो निष्ठावान देशवासी के हाथ म हमर महान देश के भविष्य सुरक्षित हावय।

मयारूक देशवासी,

अपन ये अनुभव ले गुजरत अक्सर मोला अपन बचपन तको सुरता आत रिहिन हावय के कोन रकम ले जरूरी ऐतिहासिक घटना हमर व्यक्तिगत जीवन के प्रभावित करथे।

जब अपन छोटे से गांव म, एक साधारण बालक के नजरिए ले मैं जीवन के समझे के कोशिश करत रेहेन, तब देश के आजादी हासिल करइया कुछ ही साल होए रिहिस। देश के पुनर्निर्माण के खातिर लोगन म एक नया जोश दिखाई देत; उंकर आँखी म नवा सपना रिहिस। मोर दिल-दिमाग म तको एक धुंधला कल्पना उभर रिहिस के एक दिन शायद मैं भी अपन देश ल बनाये म भागीदारी कर सकवं। कच्चा घर म गुजर-बसर करइया वाला एक परिवार के मोर जइसे साधारण बालक के खातिर हमर गणतंत्र के सर्वोच्च संवैधानिक पद के बारे म कोनो भी जानकारी होना कल्पना ले परे रिहिस। फेर ये भारत के लोकतंत्र के ताकत हावय के एमे हर नागरिक के खातिर अइसे रद्दा खुले हावयं जेमा चलके वो ह देश के नियति के संवारने म अपन जरूरी भूमिका निभा सकत हावय। कानपुर देहात जिला के परौंख गांव के अति साधारण परिवार म पला-बढ़ा वो ह राम नाथ कोविन्द आज आप सबो देशवासी के संबोधित करत रिहिन हावय, येकर खातिर मैं अपन देश के जीवंत लोकतांत्रिक बेवस्था के शक्ति के शत-शत नमन करत हावं।

चूंकि मैं अपन गांव के उल्लेख के हावय, त मैं ए बात के तको उल्लेख करे चाहूंगा के राष्ट्रपति के कार्यकाल के बखत अपन पैतृक गांव के दौरा करे अउ अपन कानपुर के स्कूल म वयोवृद्ध शिक्षक मन के पैर छूकर उंकर आशीर्वाद लेना मोर जीवन के सबले यादगार पल म हमेशा सामिल रइही। इही साल प्रधानमंत्री जी तको मोर गाँव परौंख आए अउ ओमन मोर गांव के धरती के मान बढ़ाया। अपन जड़ ले जुड़े रहना भारतीय संस्कृति के विशेषता हावय। मैं युवा पीढ़ी ले ये अरजी करहूं के अपन गाँव या नगर अउ अपन स्कूल मन अउ शिक्षक मन ले जुड़े रेहे के ए परंपरा के आगू बढ़ाते रिहिनं।

प्यारे देशवासी,

आजकल सबो देशवासी 'आजादी के अमृत महोत्सव' मना हावयं। अगले महीना हम सब भारत के आजादी के 75वीं वर्षगांठ मनाही। हम 25 साल के बखत के वो 'अमृत काल' म प्रवेश करही, जेन स्वतंत्रता के शताब्दी साल माने 2047 म पूरा होही। ये बिसेस ऐतिहासिक साल हमर गणतंत्र के प्रगति-पथ म मील के पत्थर के रकम ले हावयं। हमर लोकतन्त्र के ये विकास यात्रा, देश के स्वर्णिम संभावनाओं के कार्यरूप देके विश्व समुदाय के तीर एक श्रेष्ठ भारत के प्रस्तुत करे के यात्रा हावय।

आधुनिक काल म, हमर देश के ए गौरव यात्रा के सुरू ब्रिटिश हुकूमत के बखत राष्ट्रवादी भावना के जागरण अउ स्वाधीनता संग्राम के संग होइस। उन्नीसवीं शताब्दी के बखत पूरा देश म पराधीनता के विरुद्ध केऊ विद्रोह। देशवासी म नवा आशा के संचार करे वाला अइसे विद्रोह के अधिकांश नायक के नाम भुला दे गे रिहिस। अब उंकर वीर-गाथा के आदर सहित सुरता करे जात हावय। उन्नीसवीं सदी के आखरी अउ बीसवीं सदी के आरंभिक साल म नवा जन-चेतना के संचार हो रिहिन रिहिस अउ स्वाधीनता संग्राम के केऊ धारा प्रवाहित हो रही रिहिसं।

वर्ष 1915 म जब गांधीजी स्वदेश लौटे, वो समय देश म राष्ट्रीयता के भावना अउ तको प्रबल हो रही रिहिस। केऊ महान जननायक के उज्ज्वल आकाश-गंगा के जइसे प्रकाश हमर देश के बीसवीं सदी के आरंभिक दशक म मिले होइस, वो ह विश्व इतिहास म अतुलनीय हावय। जिहां एक तनि आधुनिक युग के एक 'ऋषि' के तरह, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर, हमर सांस्कृतिक विरासत ले देशवासी के फेर ले जोड़त रिहिस, उहें दूसरी तनि बाबासाहब भीमराव आम्बेडकर समानता के आदर्श के अइसे पुरजोर वकालत कर रिहिस जइसे अधिकांश विकसित देश म तको दिखाई नइ दे रिहिन रिहिस। तिलक अउ गोखले ले लेके भगत सिंह अउ नेताजी सुभाष चन्द्र बोस तक; जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल अउ श्यामा प्रसाद मुकर्जी ले लेके सरोजिनी नायडू अउ कमलादेवी चट्टोपाध्याय तक - अइसे केऊ विभूति ल केवल एक ही लक्ष्य के खातिर तत्पर होना, मानवता के इतिहास म अन्यत्र नइ देखे गे हावय।

मोर मस्तिष्क म अउ तको कई विभूति के नाम उभरत हावयं, फेर मोर कहे मतलब ये हावय के स्वाधीन भारत के आने-आने परिकल्पना ले सम्पन्न केऊ महान नेताओं ह भारत के स्वाधीनता के खातिर त्याग अउ बलिदान के अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करे। एमे कोनो संदेह नइ हावय के स्वाधीनता संग्राम म गांधीजी के परिवर्तनकारी विचार के प्रभाव सबले जादा पड़ा अउ वो बखत ओमन कोटि-कोटि देशवासियों के जीवनधारा के नवा दिशा दीस।

देवियो अउ सज्जन,

लोकतन्त्र के जेन पथ म हम आज आगू बढ़त हावन उंकर रूप-रेखा हमर संविधान सभा डहर ले तइयार करे गे रिहिस। वो सभा म पूरा देश के प्रतिनिधित्व करे वाला केऊ महानुभावों म हंसाबेन मेहता, दुर्गाबाई देशमुख, राजकुमारी अमृत कौर अउ सुचेता कृपलानी सहित 15 महिला मन तको सामिल रिहिसं। संविधान सभा के सदस्य मन के अमूल्य योगदान ले बने भारत के संविधान, हमर प्रकाश-स्तम्भ रिहिन हावय अउ एमे निहित आदर्श, चिरकाल ले संरक्षित भारतीय जीवन-मूल्यों के हिस्सा रिहिन हावयं।

संविधान के अंगीकृत करे जाये ले एक दिन पहिली संविधान सभा म अपन समापन वक्तव्य में, डॉक्टर आम्बेडकर ह लोकतंत्र के सामाजिक अउ राजनीतिक आयामों के बीच के अंतर के साफ करिन रिहिस। ओमन किहिन रिहिस के हमन ल केवल राजनीतिक लोकतंत्र ले संतुष्ट नइ होना चाही। मैं उंकर शब्द आप सबके संग साझा करत हावं। ओमन किहिन, ""हमें अपन राजनीतिक लोकतंत्र के एक सामाजिक लोकतंत्र तको बनाना चाही। राजनीतिक लोकतंत्र टिक नइ सकत यदि वो ह सामाजिक लोकतंत्र म आधारित न हो। सामाजिक लोकतंत्र के का अर्थ हावय? येकर अर्थ हावय जीवन के वो ह तरीका जेन स्वतंत्रता, समानता अउ बंधुता के जीवन के सिद्धांतों के रूप म मान्यता देत हावय। स्वतंत्रता, समानता अउ बंधुता के ये सिद्धांतों के एक त्रिमूर्ति के अलग-अलग हिस्सा के रूप म नइ देखना चाही। उंकर त्रिमूर्ति के वास्तविक अर्थ ये हावय के ओमा ले कोनो तको हिस्सा के एक-दूसरे ले अलग करे म लोकतंत्र के वास्तविक उद्देश्य ही खतम हो जात हावय।”

मयारूक देशवासी,

जीवन-मूल्य के ये त्रिमूर्ति आदर्श-युक्त, उदारता-पूर्ण अउ प्रेरणादायक हावय। ए त्रिमूर्ति के अमूर्त अवधारणा मात्र समझना गलत होही। केवल आधुनिक ही नइ बल्कि हमर जुन्ना इतिहास तको ए बात के गवाही देत हावय के वो तीनों जीवन-मूल्य हमर जीवन के सच्चाई हावयं; ओला हासिल करे जा सकत हाबे, अउ वस्तुत: ओला आने-आने युगों म हासिल करिन तको गे हावय। हमर पूर्वजों अउ हमर आधुनिक राष्ट्र-निर्माताओं ह अपन कठिन मेहनत अउ सेवा भावना के डहर ले न्याय, स्वतंत्रता, समता अउ बंधुता के आदर्शों के चरितार्थ करिन रिहिस। हमन ल केवल उंकर पदचिह्न म चलना हावय अउ आगू बाढ़त रहना हावय।

सवाल उठता हावय के आज के संदर्भ म एक सामान्य नागरिक के खातिर अइसे आदर्शों के का अर्थ हावय? मेरा मानना ​​है के उन आदर्शों के प्रमुख लक्ष्य सामान्य मनखे के खातिर सुखमय जीवन के रद्दा प्रशस्त करे हावय। येकर लिए, सबले पहिली सामान्य लोगन के मूलभूत जरूरत एं पूरा के जानी चाही। अब संसाधन के कमी नइ हावय। हर परिवार के पास बढि़या आवास, अउ पीने के पानी अउ बिजली के सुविधा उपलब्ध हो – ए दिशा म हम काम करके रिहिन हावयं। ये बदलाव, विकास के बाढ़त हुई गति अउ भेदभाव ले पूर्णत: मुक्त सुशासन डहर ले ही संभव हो सका हावय।

मूलभूत जरूरत उपलब्ध कराने के बाद, ये सुनिश्चित करे हावय के प्रत्येक नागरिक अपन क्षमताओं के उपयोग करते होए खुशी के मउका तलाशे अउ अपन नितांत निजी गुणों के समुचित उपयोग करते होए अपन नियति के बनाये करे। ए दिशा म आगू बढ़ने के खातिर शिक्षा ही मुख्य साधन हावय। मेरा मानना ​​है के ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ युवा भारतीयों के खातिर अपन विरासत ले जुड़ने अउ इक्कीसवीं सदी म अपन पैर जमाने म बहुत सहायक सिद्ध होगी। उंकर विकासमान भविष्य के खातिर अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं अनिवार्य हावयं। कोविड के वैश्विक महामारी ह सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे म अउ जादा सुधार के जरूरत  के रेखांकित करिन हावय। मोला खुशी हावय के सरकार ह ए कार्य के सर्वोच्च प्राथमिकता दी हावय। शिक्षा अउ स्वास्थ्य सेवाओं के लाभ उठाते होए हमर देशवासी सक्षम बन सकते हावयं अउ आर्थिक सुधारों के लाभ लेके अपन जीवन बनाये के खातिर सर्वोत्तम रद्दा अपन सकते हावयं। 21वीं सदी के भारत के सदी बनाये के खातिर हमर देश सक्षम होवत हाबे, ये मेरा दृढ़ विश्वास हावय।

मयारूक देशवासी

अपन कार्यकाल के पांच साल के दौरान, मैंने अपन पूरा योग्यता ले अपन दायित्वों के निर्वहन करिन हावय। मैं डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, डॉक्टर एस. राधाकृष्णन अउ डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जैसी महान विभूतियों के उत्तराधिकारी होने के नाते बहुत सचेत रिहिन हावं। जब मैंने राष्ट्रपति भवन म प्रवेश करिन था, तब मोर तत्कालीन पूर्ववर्ती,  प्रणब मुखर्जी ह तको मोर कर्तव्यों के बारे म मोला बुद्धिमत्तापूर्ण सुझाव दिए। फेर भी, जब कभी मोला कोनो रकम ले के संशय होइस, तब मैंने गांधीजी के अउ उंकर डहर ले सुझाए गे मूल-मंत्र के सहारा लिया। गांधीजी के सलाह के मुताबिक सबले अच्छा मार्गदर्शक-सिद्धान्त ये रिहिस के हम सबले गरीब आदमी के चेहरे के सुरता करें अउ खुद ले ये सवाल पूछें के हम जेन कदम उठाने जा रिहिन हावयं, का वो ह वो गरीब के खातिर सहायक होही? मैं गांधीजी के सिद्धांतों म अपन अटूट विश्वास के दोहराते होए आप सबले ये आग्रह करहूं के आप प्रतिदिन, कुछ मिनटों के खातिर ही सही, गांधीजी के जीवन अउ शिक्षाओं म अवश्य विचार करें।

मयारूक देशवासी,

हम सबके खातिर माता के रकम ले पूज्य प्रकृति, गहरी पीड़ा ले गुजर रही हावय। जलवायु परिवर्तन के संकट हमर धरती के भविष्य के खातिर गंभीर खतरा बना होइस हावय। हमन ल अपन बच्चों के खातिर अपन पर्यावरण, अपन जमीन, हवा अउ पानी के संरक्षण करे हावय। अपन दिनचर्या म अउ रोज़मर्रा के चीजों के इस्तेमाल करते समय हमन ल अपन पेड़ों, नदियों, समुद्रों अउ पहाड़ों के संग-साथ अन्य सबो जीव-जंतुओं के रक्षा के खातिर बहुत सावधान रेहे के जरूरत हावय। प्रथम नागरिक के रूप में, यदि अपन देशवासियों के मोला कोनो एक सलाह देनी हो त मैं यही सलाह दूंगा।

अपन वक्तव्य के समापन कर मैं एक बार फेर सबो देशवासी के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करत हावं। भारत माता ल सादर नमन कर मैं आप सबो के उज्ज्वल भविष्य के मंगल कामना करत हावं। धन्यवाद,
जय हिन्द!"

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सबो पाठक ल जोहार..,
हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।

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