फणीनागवंशी काल, 11वीं शताब्दी म बने छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक, पुरात्व,पर्यटन अउ धार्मिक जन आस्था के केन्द्र भोरमदेव मंदिर के परिसर अउ गर्भगृह म बरसात के पानी के रिसाव अउ मंदिर के बाहरी भाग के क्षरण के वास्तविक कारण के पता लगाये के खातिर जिला प्रशासन के रिपोर्ट म पुरात्व विभाग के टीम ह मंदिर परिसर के अवलोकन करिन। संस्कृति अउ पुरातत्व विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अमृत लाल पैकरा के अवलोकन टीम म चार अलग-अलग तकनीकी विशेषज्ञ ह बारिकी ले निरीक्षण करिन। निरीक्षण टीम म पुरात्व विभाग के सहायक अभियंता सुभाष जैन, उप अभियंता दिलीप साहू, केमिस्ट विरेन्द्र धिवर, मानचित्रकार चेतन मनहरे अउ जिला प्रशासन तनि ले कवर्धा एसडीएम विनय सोनी, डिप्टी कलेक्टर रश्मी वर्मा, बोडला तहसीलदार अमन चतुर्वेदी सामिल रिहिस।
पुरात्व विभाग के संयुक्त टीम ह भोमदेव मंदिर परिसर अउ आसपास क्षेत्र के बारिकी ले अवलोकन करिन। अवलोकन के बाद टीम ह कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ल भोरमदेव मंदिर परिसर के गर्भ गृह म पानी के रिसाव, बाहरी भाग के रक्षण होए के वास्तविक कारण बताइन।
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