कोण्डागांव के जोहार एथेनिक रिसॉर्ट म 15 अगस्त ले सुरू होही ‘गढ़कलेवा’

अंजोर
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कोण्डागांव.13। चीला, ठेठरी, खुरमी, फरा, बड़ा, चैसेला जइसन पारम्परिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन के सुवाद अब कोण्डागांव के लोगन मन तको लेही 15 अगस्त ले। छत्तीसगढ़ी संस्कृति ल संरक्षित राखे खातिर छत्तीसगढ़ शासन के निर्देश म कोण्डागांव जिला म जोहार एथेनिक रिसॉर्ट म जिला के पहिली ‘गढ़कलेवा’ बनाये गे हावय। येकर शुरूआत 15 अगस्त ले आम नागरिक खातिर होए के आरो पीआरओ कोति ले मिले हाबे। 

छत्तीसगढ़ ल धान के कटोरा केहे जाथे अउ इहां के अधिकतर व्यंजन चाउर ले ही बनाये जाथे। ये सेती गढ़कलेवा म तको ज्यादातर व्यंजन चाउर ले ही बनाये जाही। खाजा, बीड़िया, पिडीया, देहरौरी, पपची, ठेठरी, खुर्मी के अलावा अइसा,  ननकी या अदौरी बरी, रखिया बरी,  मुरई बरी, उड़द दाल, मूंग दाल अउ साबूनदाना के पापड़, मसाला मिर्ची, बिजौरी, लाइ बरी अऊ कई प्रकार के चटनी गढ़कलेवा म मिलही। ये व्यंजन ल जिला के जय मॉ दुर्गा स्व-सहायता समूह करही। जय मॉ दुर्गा स्व-सहायता समूह के चयन कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा के निर्देश म निर्मित चयन समिति ल मिले आवेदन म विचार करे के बाद करे गे हावय। ये समूह ले कुल 11 महिला जुरे हावय, ‘गढ़कलेवा’ ले अब ओमन ल रोजगार मिलही।

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