केयूर भूषण के सुरता

अंजोर

भारत माता के रतन बेटा श्रद्धेय केयूर भूषण

छत्तीसगढ़ के सोनहा माटी म अवतरे भारत माता के दुलरवा बेटा केयूर भूषण ल उंकर पुण्य तिथि म सादर सुरतांजलि। केयूर भूषण जइसन अवतारी पुरूष मन बर ही श्रद्धेय लक्ष्मण मस्तुरिया जी ह केहे हाबे के ‘भारत माता के रतन बेटा बढि़या हवं रे, मैं छत्तीसगढि़या हवं रे’। 

छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिला के गांव जांता म 1 मार्च 1928 के जनम लेवइया केयूर सिरतोन म रतन बेटा आए। नानपन म कोनो नी आकब करिन होही के एक दिन देश के आजादी म कूद परहीं। गजब आंदोलन अउ बलिदान के बाद देश आजाद होगे। फेर केयूर भूषण के आंदोलन नइ रूकिस कभू किसान-मजदूर के हक बर त कभू जातिवाद अउ सामाजि‍क बहिष्कार के खिलाफ जबर गोहार करिन। ओमन अलग छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के आंदोलन म तको अगुवा रिहिन। 90 बछर के अवरधा तक म केयूर भूषण जी के माथा म स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, साहित्यकार, पत्रकार, राजनेता, किसान-मजदूर नेता, पृथक छत्तीसगढ़ आंदोलन म अगुवा जइसन अनेक मउर बंधाये, जीनगी के नोहर सुरता धरे 3 मई 2018 के ओमन अम्मर होगे।
अंग्रेजन के पराधिनता म अकबकावत भारत माता के पीरा ह सदा उंकर मनला हूदरय। छोटकन गांव जांता के नान्हे लइका ल गांधी जी के विचारधारा ह गजब प्रभावित करिस। मन म पीरा तो रइबे करिसे, गांधी जी ले प्रेरित होके स्वतंत्रता आंदोलन म कूदगे। ओ पइत गांधी जी ह अगस्त 1942 म भारत छोड़ो आन्दोलन चलावत रिहिन। उही आंदोलन म सिरिफ 14 बछर के उमर म बालक केयूर भूषण ल 9 महीना के जेल होगे। बताये मुताबिक रतन बेटा केयूर भूषण ह देश के आजादी खातिर अलग-अलग आंदोलन म भाग लेवत कुल चार बछर जेल म काटे हाबे। 
स्वतंत्रता आंदोलन के संगे-संग ओमन साहित्य सिरजन म तको रमे रिहिन। जेन सुराज के बाद अऊ नंगत घऊंरे लागिस। केयूर भूषण जी के ज्यादातर रचना अप्रकाशित रिहिस। कविता, कहानी, निबंध अउ उपन्यास जइसन सबो विधा म लेखन करत केयूर भूषण जी किसान आंदोलन ले तको जुरिन। फेर ओमन बाद म राजनीति म आइस अउ 1980 के दशक म रायपुर लोकसभा सीट ले सांसद बनिस। ये बीच ओमन केऊ ठी किताब के प्रकाशन तको करिन जेमा प्रमुख रूप ले उपन्यास ‘कुल के मजाद’ अउ ‘कहां बिलागे मोर धान के कटोरा’ घातेक लोकप्रिय होइस। उंकर चिंतन अउ विचारधारा ह रचना म तको साफ दिखथे। केयूर भूषण जी गांधीवादी नेता रिहिन, जात-पात ल नइ मानत रिहिस, गांव अउ मजदूर के हक के बात करय, छत्तीसगढ़ी साहित्य अउ संस्कृति ले अगाध मया करय।
जीवन के चौथापन म तको ओमन लिखते रिहिन। अतेक बड़का नाव अउ पदवी पाये के बाद थोरको उंकर भीतर गरब गुमान नइ रिहिसे। रायपुर ले सांसद होय के बाद भी ओमन अपन डंगनिया के छोटकुन निवास ले साइकिल म ही जनसेवा बर निकलय। कोनो अवइया-जवइया ले मीठ भाखा संग बोलय। नेता, पत्रकार ले तो कम साहित्यकार मन संग जादा उठ-बइठ राहय उंकर। केयूर भूषण जी ल जुरे एक वाक्या सुरता आवथे- 2013 के नवंबर महीना रिहिस, अचानक वरिष्ठ साहित्यकार चंद्रशेखर चकोर ह फोन करिस के जयंत आज एक जगह जाना हाबे साक्षात्कार ले खातिर, तइयार रइबे। 
दूनो झिन गेन तव पता चलिस के ओकर तबीयत बने नइये। भीतरी ले केयूर भूषण जी पूछिस कोन आए हे। बताइन के चकोर आए हाबे, ओमन पलंग ले उठके आगे, किथे- आ... आ... चकोर बइठ। ओमन अस्वस्थ्य, रेहे के बाद भी साहित्यकार मन सो मिलय। उहंचे चकोर जी ह मोर परिचय करावत कहिन के ये साहित्यकार, पत्रकार जयंत साहू आए अभी छत्तीसगढ़ी म मासिक बुलेटिन निकालत हाबे ‘अंजोर’ नाव के। ओमन छत्तीसगढ़ी पत्रिका के नाव सुनके मगन होगे। सुराजी आंदोलन ले लेके राजनीति अउ साहित्य के गजब अकन गोठबात होइसे। जेन छत्तीसगढ़ी चौमासा ‘बरछाबारी’ म प्रकाशित तको होए हाबे। पलंग ले उठे नइ पावत रिहिसे तेन ह भला-चंगा बरोबर गोठबात करिन। हमन तो दस-पांच मिनट गोठियाबो किके गे रेहेन फेर केयूर भूषण जी तीन घंटा ले बइठार लिस। ये बीच ओमन जुन्ना-जुन्ना कापी म लिखाये प्रतिलिपी मन ल देखावत कविता तको सुनाइन। अतेक राष्ट्रीय अउ राजकीय सम्मान ले अलंकृत मनखे के अतका सरल अउ सहजपना, शायद इही ह असल म छत्तीसगढ़िया के चिन्हारी आए  
केयूर भूषण जी के छत्तीसगढ़ी कृति म लहर (कविता संग्रह), कुल के मरजाद (छत्तीसगढ़ी उपन्यास), कहां बिलागे मोर धान के कटोरा (छत्तीसगढ़ी उपन्यास), नित्य प्रवाह (हिन्दी प्रार्थना अउ भजन), कालू भगत (छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह), आंसू म फ़िले अचरा (छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह), मोर मयारुक हीरा के पीरा (छत्तीसगढ़ी निबंध संग्रह), डोंगराही रद्दा (छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह), लोक-लाज (छत्तीसगढ़ी उपन्यास) अउ समें के बलिहारी (छत्तीसगढ़ी उपन्यास) ह प्रमुख हावय। 
केयूर भूषण जी के साहित्य सिरजन ल देखे जाए तव ओमन ज्यादातर कहानी अउ उपन्यास लिखे हाबे। सबो ह कोनो न कोनो रूप म छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधित्व करथे। छत्तीसगढ़ के ग्राम्य जीवन के चित्रण, सामाजिक अउ आर्थिक दशा सउहत दिखथे उंकर लेखन म चाहे वो ‘कुल के मरजाद’ हो या फेर ‘कहां बिलागे मोर धान के कटोरा’, दरपन सहिक फकफक ले सफा गवइहापन दिखथे। कहानी संग्रह कालू भगत के भोलापन अउ आंसू म फिले अचरा के दुलार ह पढ़इया मनला बोटबोटा डारथे। येतो कुछेक प्रकाशित कृति के विशेषता आए, जेन म जतके बुड़बे ततके गहिर होवत जाथे। अइसे जानबा होथे के केयूर भूषण जी के केउ ठी कृति अप्रकाशित धरनाहा होही। 
बेरा-बेरा म अइसन मनीषी मनके व्यक्तित्व अउ कृतित्व ह समाज म अंजोर बगराथे। उन सागर सहिक जबर बुता करिन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप म देश के आजादी खातिर लडि़न। छत्तीसगढ़ी साहित्य ल ओ बखत सजोर करिन जब एक्का–दूक्का मन ही छत्तीसगढ़ी भाषा म लिखय। पत्रिका के संपादन करिन, पत्रकार के भूमिका तको निभाइस। आजाद भारत म लोकसभा के निर्वाचित सदस्य के रूप म स्वच्छ राजनीति करिन। धान के कटोरा म अनिआव साहत किसान-मजदूर मनके हक बर लडि़स, इहां तक पृथक छत्तीसगढ़ आंदोलन म तको उमन के बड़े भूमिका रहिन। अइसन सागर के आगू बुंदभर भर सुरतांजलि घलोक जयंती अउ पुण्यतिथि के मउका म छत्तीसगढि़या, छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढ़ के चाकर छाती होथे।
0 जयंत साहू, डूण्डा रायपुर 
छत्तीसगढ़
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