रामगढ़ महोत्सव ह 1969 ले अब तक सरलग होवथे

अंजोर
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अवइया पीढ़ी बर ऐतिहासिक अउ पुरातात्विक धरोहर ल बचाना जरूरी हावय: टीएस सिंहदेव




अंजोर ए। असाढ़ महीना के पहिली दिन से सुरू होवइया अंबिकापुर जिला के रामगढ़ महोत्सव ह 17 ले 18 जून तक चलही। ये पइत दू दिनी जलसा ह राजमोहनी देवी भवन म आयोजित होइसे जेमा प्रदेस के पंचायत अउ ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य अउ परिवार कल्याण मंत्री टी.एस. सिंहदेव अउ लुण्ड्रा विधायक डॉ. प्रीतम राम, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती फुलेश्वरी सिंह, महापौर डॉ. अजय तिर्की, सभापति शफी अहमद सामिल होइस। जलसा म माई पहुना के रूप म अपन बात रखत जिला के प्रभारी मंत्री सिंहदेव जी अपन अंचल के जनता ल रामगढ़ महोत्सव के बधाई देवत किहिन के ये हरेक बच्छर होवइया रामगढ़ महोत्सव उत्सव हमर ऐतिहासिक अउ सांस्कृतिक चिन्हारी आए जेला अवइया पीढ़ी तक संजोय राखे बर परही। सरगुजा अंचल म अउ गजब अकन पुरातात्विक धरोहर हावय जेकर सरेखा करे के जरूरत हावय। शोध माध्यम ले इतिहास के मानव उपस्थिति के प्रमाणिक साक्ष्य तको मिलथे। तइहा समे म हमर पुरखा मन का-का करत रिहिन कइसन उंकर जीवनशैली रिहिसे ये सब बात के जानबा इतिहास ले ही होथे। 

ये मउका म ओमन आगू किहिन के रामगढ़ के पहाड़ी ऐतिहासिक अउ सांस्कृतिक धरोहर के रूप म विश्व के प्राचीनतम् नाट्यशाला के रूप में अपन पहचान स्थापित करे हावय, महाकवि कालिदास ह अपन खण्ड काव्य मेघदूतम् के रचना घलोक इही रामगढ़ के पहाड़ी म करे रिहिसे।अउ 2019 के आयोजन ले रामगढ़ महोत्सव ल चार दशक पूरा होगे। इहा हरेक साल स्थानीय के संगे राष्ट्रीय अउ अंतराष्ट्रीय स्तर के कलाकार मनला मंच मिलथे। 

रामगढ़ महोत्सव के जलसा म आगू अपन बात रखत लुण्ड्रा विधायक डॉ प्रीतम राम तको प्राचीन काल ले रामगढ़ के पहाड़ी के संबंध म मानव इतिहास से जुड़े बात म बल देवत कहिन के शोध संगोष्ठी के माध्यम ले सरगुजा के ऐतिहासिक अउ पुरातात्विक महत्ता ह उजागर होथे। जेकर ले प्रभावित होके देस के कोना कोना ल पर्यटक अउ इतिहासकार मन पहुंचथे। पुरातात्विक स्थल ल आगू पर्यटन स्थल के रूप म घलोक विकसित करे जा सकथे जेकर ले पर्यटन ल बढ़ावा मिलही। ये मउका म सर्वश्री डॉ. निलिम्प त्रिपाठी, श्रीमती रूबी सिद्धिकी, ललित शर्मा, राज नारायण द्विवेदी, संतोष कुमार दुबे, श्रीमती मीना वर्मा, चारूचंद्र, कमल पटेल, श्रीमती पूर्णिमा पटेल, सीमांचल त्रिपाठी सहित 33 शोधकरइया मन शोध पत्र के वाचन तको करिन।


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